नयी दिल्ली, 16 दिसंबर। नेशनल हेराल्ड से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नए सिरे से आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रहा है। ईडी ने यह कदम दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा हाल ही में दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर उठाने का निर्णय लिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इससे पहले दिन में, दिल्ली की एक निचली अदालत ने अप्रैल 2025 में ईडी द्वारा दाखिल किए गए आरोप पत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा कि यह आरोप पत्र एक निजी शिकायत के आधार पर की गई जांच पर आधारित है, न कि किसी मूल अपराध से संबंधित प्राथमिकी पर। उन्होंने स्पष्ट किया कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ऐसे मामले में संज्ञान लेना कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है।
हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि अदालत ने ईडी की प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को रद्द नहीं किया है। ईसीआईआर 30 मई 2021 को दर्ज की गई थी और पूरा धनशोधन मामला उसी पर आधारित है। अदालत ने केवल यह कहा है कि मौजूदा आरोप पत्र का संज्ञान लेना उचित नहीं है।
ईडी अब दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा तीन अक्टूबर को दर्ज की गई प्राथमिकी को अपनी मौजूदा ईसीआईआर में शामिल कर चुकी है। अधिकारियों के अनुसार, ईडी ने अपनी जांच के दौरान एकत्र किए गए दस्तावेजी सबूत सितंबर में ईओडब्ल्यू के साथ साझा किए थे, जिनके आधार पर पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज किया। पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद ईडी अपने स्तर पर नया आरोप पत्र दाखिल करेगी।
सूत्रों ने बताया कि नया आरोप पत्र दाखिल करने से पहले ईडी आरोपियों से दोबारा पूछताछ भी कर सकती है। एजेंसी के अनुसार, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड में गांधी परिवार की बहुमत हिस्सेदारी है, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 38-38 प्रतिशत शेयर हैं। इस कंपनी ने कथित तौर पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की लगभग 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों का अधिग्रहण मात्र 50 लाख रुपये में किया, जिसे ईडी ने वास्तविक मूल्य से काफी कम बताया है। एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार और उसके वेब पोर्टल का प्रकाशक है।
ईडी ने इस मामले में कथित अपराध से अर्जित धनराशि 988.03 करोड़ रुपये आंकी है। एजेंसी ने जांच के तहत एजेएल की 751.91 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क किया था, जिसे पीएमएलए के न्याय निर्णायक प्राधिकरण ने बरकरार रखा है। माना जा रहा है कि ईओडब्ल्यू और ईडी—दोनों के आरोप पत्र दाखिल होने के बाद इन संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
दूसरी ओर, अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने इसे अपनी “जीत” करार दिया। पार्टी ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किया गया यह पूरा मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित था और अब उसकी “अवैधता” उजागर हो गई है।
ईओडब्ल्यू की प्राथमिकी में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस नेता सुमन दुबे और सैम पित्रोदा, यंग इंडियन, डोटेक्स मर्चेंडाइज लिमिटेड, उसके प्रवर्तक सुनील भंडारी, एजेएल और अन्य अज्ञात लोगों को नामजद किया गया है। पुलिस ने आईपीसी की धाराओं 120बी, 403, 406 और 420 के तहत आरोप लगाए हैं। ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच शुरू कर दी है और इस मामले में आगे और पूछताछ तथा कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
