नयी दिल्ली, 17 नवंबर—जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (जेकेएसए) ने सोमवार को आरोप लगाया कि दिल्ली के लाल किले के नजदीक 10 नवंबर को हुए कार विस्फोट के बाद उत्तर भारत के कई राज्यों में कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है। छात्र संघ ने कहा कि छात्रों की व्यक्तिगत जानकारी जुटाई जा रही है, उन्हें धमकियां दी जा रही हैं और कई को घर छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है।
जेकेएसए के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुएहामी ने संवाददाताओं से कहा, “हमले के बाद एक विशेष समुदाय को बदनाम किया जा रहा है। कश्मीरी छात्र आतंकवाद में शामिल नहीं हैं, वे भारत के लोकतंत्र और मुख्यधारा में विश्वास रखते हैं। फिर भी, विभिन्न राज्यों के अधिकारी और स्थानीय लोग उनकी व्यक्तिगत जानकारी जुटा रहे हैं और मकान मालिक उन्हें किराए के मकान छोड़ने के लिए दबाव डाल रहे हैं।”
छात्र संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सार्वजनिक हस्तक्षेप करने और कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। खुएहामी ने कहा कि कश्मीरी भी भारत के उतने ही हिस्से हैं जितने कोई अन्य नागरिक। उन्होंने केंद्र से इस समुदाय के खिलाफ बढ़ते भय और भेदभाव को रोकने का अनुरोध किया।
जेकेएसए ने विस्फोट की कड़ी निंदा करते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की। दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और अपराध शाखा संयुक्त रूप से इस मामले की बहु-एजेंसी जांच कर रही हैं। जांच के सिलसिले में हरियाणा के अल फलाह विश्वविद्यालय के दो चिकित्सकों समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है।
दिल्ली विस्फोट में 13 लोगों की मौत हुई थी। जेकेएसए ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी निष्पक्ष जांच के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्होंने समुदाय विशेष के खिलाफ ‘संदेह और डर’ फैलाने की प्रवृत्ति को रोकने की मांग की है।
इस घटना ने देश में सुरक्षा और समुदायों के बीच भरोसे का मुद्दा फिर से उठाया है, और सरकार से अपेक्षा जताई जा रही है कि वह कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें बदनाम होने से बचाए।
