नयी दिल्ली, 15 दिसंबर :कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान निर्वाचन आयोग और भाजपा-नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा की “जान ईवीएम में बसती है।”
सिंह ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने निर्वाचन आयोग से समय मांगा लेकिन उसे समय देने की बजाय कोई पावती भी नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई राज्यों में वोट चोरी के प्रमाण पेश किए, लेकिन आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी बिहार में सरकार के कदमों पर रोक नहीं लगायी गई, जबकि अन्य राज्यों में रोक लगा दी गई।
सिंह ने दलबदल और चुनाव चिह्नों के मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब किसी पार्टी में विवाद होता है तो उसके चुनाव चिह्न पर रोक लग जाती है, लेकिन शिवसेना का चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे और राकांपा का चुनाव चिह्न अजित पवार को दे दिया गया।
उन्होंने लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के जवाब पर भी सवाल उठाया और कहा कि आयोग ने गृह मंत्री को चुनाव सुधारों के संबंध में कोई सुझाव नहीं दिया, जिससे या तो आयोग ने गलत जानकारी दी या गृह मंत्री ने सदन को गुमराह किया।
सिंह ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से संवैधानिक संस्थाओं पर एक विचारधारा का कब्जा हो गया है और देश में तानाशाही लागू हो रही है। उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की आवश्यकता पर सवाल उठाया और कहा कि साल में चार बार संक्षिप्त पुनरीक्षण होता है, तो एसआईआर की जरूरत क्या है।
सिंह ने ईवीएम के बजाय मतपत्र से चुनाव कराने की मांग की और हर मतदाता को वीवीपैट पर्ची देने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने एक साथ चुनाव कराने का विरोध भी किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला बोलते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे विश्व का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन बताने पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या आरएसएस पंजीकृत है और क्या अमित शाह कभी इसके सदस्य रहे।
इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री शाह ने लोकसभा में स्पष्ट किया है कि वे आरएसएस के सदस्य हैं और उन्हें इस पर गर्व है।
