ट्रंप और बीबीसी विवाद में फंसी ब्रिटेन सरकार

लंदन, 11 नवंबर : ब्रिटेन की सरकार मंगलवार को बीबीसी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच जारी विवाद पर विचार कर रही थी। विवाद का केंद्र बीबीसी द्वारा ट्रंप के 2021 के भाषण के संपादन को लेकर मुकदमा करने की ट्रंप की धमकी है।

संस्कृति मंत्री लिसा नंदी ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में बीबीसी संकट पर बयान देने वाली थीं। इस विवाद के चलते आलोचकों ने बीबीसी में बड़े बदलावों की मांग की है, जबकि समर्थक सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि सार्वजनिक प्रसारक पर राजनीतिक हस्तक्षेप न हो।

निवर्तमान बीबीसी महानिदेशक टिम डेवी ने रविवार को अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “हमने कुछ गलतियां की हैं, जिनकी हमें कीमत चुकानी पड़ी है,” लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें संगठन पर गर्व है और बीबीसी को अपनी पत्रकारिता की रक्षा के लिए संघर्ष करना होगा।

ट्रंप के एक वकील ने पिछले साल प्रसारित वृत्तचित्र में कथित अपमानजनक दृश्य को लेकर बीबीसी से बयान वापस लेने, माफी मांगने और मुआवजे की मांग की है। इस वृत्तचित्र का शीर्षक था “ट्रंप: ए सेकंड चांस?”, जिसमें 6 जनवरी, 2021 के उनके भाषण के दो खंडों से उद्धरणों को जोड़ा गया। संपादन के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रंप ने समर्थकों से हिंसक कार्रवाई करने का आग्रह किया, जबकि वास्तविक भाषण में उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का आग्रह किया था।

इस विवाद के कारण बीबीसी के संपादकीय प्रमुख डेबोरा टर्नेस और डेवी दोनों ने अपने पद छोड़ दिए। बीबीसी ने पहले ही 6 जनवरी के भाषण के भ्रामक संपादन के लिए माफी मांगी है।

बीबीसी के अध्यक्ष समीर शाह ने कहा कि प्रसारक ने स्वीकार किया कि संपादन का तरीका ऐसा प्रतीत हुआ कि यह सीधे हिंसक कार्रवाई का आदेश था। ट्रंप के वकील एलेजांद्रो ब्रिटो ने बीबीसी को शुक्रवार तक मुआवजे और माफी देने की मांग की है, अन्यथा एक अरब अमेरिकी डॉलर के हर्जाने के लिए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

विवाद ने ब्रिटेन सरकार को राजनीतिक रूप से जटिल स्थिति में डाल दिया है। वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों ही सरकारों पर लंबे समय से बीबीसी के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते रहे हैं। बीबीसी का संचालन एक बोर्ड द्वारा होता है, जिसमें सरकार और निगम द्वारा नियुक्त सदस्य शामिल होते हैं।

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