नई दिल्ली, 16 अक्टूबर। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनावों से पहले माहौल गरमा गया है। बृहस्पतिवार को स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज की जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) के दौरान एबीवीपी और वामपंथी छात्र संगठनों के बीच तीखी झड़प हो गई, जिसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हिंसा, उत्पीड़न और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में व्यवधान डालने के आरोप लगाए हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दावा किया कि बैठक के दौरान एक वामपंथी सदस्य ने उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों और एबीवीपी से जुड़े छात्रों के खिलाफ “आपत्तिजनक और भेदभावपूर्ण” टिप्पणी की, जिसमें कहा गया कि वे जेएनयू में पढ़ने के योग्य नहीं हैं और उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए। एबीवीपी के अनुसार, विरोध करने पर वामपंथी छात्रों ने उनकी एक छात्रा पर हमला किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
एबीवीपी ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष नीतीश पर आरोप लगाया कि उन्होंने हालात को शांत करने के बजाय पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और हिंसा को बढ़ावा दिया। संगठन ने आरोप लगाया कि वामपंथी छात्रों ने झूठे आरोप लगाने के लिए खुद पर हमले का नाटक किया और “पीड़ित बनने का कार्ड” खेला।
दूसरी ओर, वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने एबीवीपी पर जीबीएम में “गुंडागर्दी” करने, छात्रों को डराने और महिला छात्रों पर शारीरिक हमला करने का आरोप लगाया। आइसा का कहना है कि एबीवीपी के सदस्यों ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश पर भी हमला किया और उनके कपड़े फाड़े। संगठन ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्यों ने जातिवादी, महिला-विरोधी और इस्लाम-विरोधी टिप्पणियां कीं।
आइसा ने यह भी आरोप लगाया कि एबीवीपी जेएनयू छात्रसंघ चुनावों को प्रभावित करने के लिए हिंसा और धमकियों का सहारा ले रही है। घायल छात्रों को इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
गौरतलब है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव नवंबर में होने की संभावना है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन कर दिया है। लेकिन छात्र संगठनों के बीच बढ़ता तनाव चुनावी प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन पर निष्पक्ष कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है, ताकि विश्वविद्यालय में शांति और लोकतांत्रिक माहौल बना रह सके।
