नई दिल्ली, 23 दिसंबर – प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मामले में आईएएस अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार किया है। ईडी का दावा है कि दास ने इस रैकेट को सुगम बनाने में “केंद्रीय भूमिका” निभाई और लगभग 18 करोड़ रुपये की अपराध से प्राप्त आय हासिल की। यह जानकारी एजेंसी के एक आधिकारिक बयान में दी गई।
ईडी ने बताया कि दास को 19 दिसंबर को रायपुर जोनल कार्यालय में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत गिरफ्तार किया गया। धन शोधन की जांच राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो/आर्थिक अपराध शाखा (ACB/EOW) द्वारा शुरू की गई थी, जो भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी पर आधारित थी।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस घोटाले से राज्य खजाने को भारी नुकसान हुआ और इसके परिणामस्वरूप लगभग 2,500 करोड़ रुपये की अपराध से प्राप्त आय उत्पन्न हुई। जांच में डिजिटल रिकॉर्ड, जब्त दस्तावेज और गवाहों के बयानों के आधार पर यह पाया गया कि निरंजन दास शराब सिंडिकेट के सक्रिय सहभागी थे।
ईडी का कहना है कि दास को अतिरिक्त प्रभार के रूप में आबकारी आयुक्त और आबकारी विभाग का सचिव बनाया गया था, ताकि इस घोटाले को सुगम बनाया जा सके। एजेंसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने वैधानिक कर्तव्यों की उपेक्षा की, सरकारी राजस्व की लूट को बढ़ावा दिया और 50 लाख रुपये मासिक भुगतान के बदले सिंडिकेट को बिना रोकटोक संचालन करने दिया। इसके अलावा, दास ने अपने क्षेत्राधिकार में अवैध और बिना हिसाब की शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया।
ईडी ने बताया कि इस मामले में अन्य प्रमुख गिरफ्तारियों में शामिल हैं: पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, पूर्व छत्तीसगढ़ आबकारी मंत्री और विधायक कवासी लकमा, चैतन्य बघेल (पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र) और सौम्या चौरसिया।
एसीबी/ईओडब्ल्यू ने अपने नवीनतम अनुपूरक आरोपपत्र में दावा किया है कि चैतन्य बघेल ने कथित घोटाले से अपने हिस्से के रूप में 200 से 250 करोड़ रुपये प्राप्त किए। लगभग 3,800 पृष्ठों के आरोपपत्र में इसे 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के मामले में आरोपी के रूप में नामजद किया गया है। इसमें सिंडिकेट के अधिकारियों और कर्मचारियों के समन्वय में उनकी कथित भूमिका का भी विवरण दिया गया है।
एजेंसी के अनुसार, अपराध से प्राप्त राशि को शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लों से जुड़ी फर्म के माध्यम से रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया गया। ईडी का दावा है कि कुल अपराध से प्राप्त राशि 3,500 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
जांच में यह भी सामने आया कि 2019 से 2022 तक, जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी, राज्य में बेची गई हर शराब की बोतल से अवैध रूप से राशि एकत्र की गई। इसके आधार पर जनवरी 2024 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें 70 व्यक्तियों और कंपनियों का नाम शामिल किया गया।
