छठ महापर्व आज से: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ भगवान भास्कर की आराधना का चार दिवसीय अनुष्ठान छठ महापर्व

पटना। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज शनिवार को नहाय-खाय के साथ हो रही है। सूर्य उपासना और शुद्धता का प्रतीक यह चार दिवसीय अनुष्ठान पूरे प्रदेश में उल्लास और श्रद्धा के माहौल में मनाया जा रहा है। रविवार को खरना के साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होगा। इसके बाद सोमवार की शाम व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को और मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करेंगे।

राजधानी पटना के गंगा घाटों से लेकर गाँवों के तालाबों तक श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा है। प्रशासन की ओर से घाटों की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। शुक्रवार देर शाम तक सफाई, रोशनी और सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर अधिकारी मौके पर डटे रहे। वहीं, शहर के बाजारों में नहाय-खाय को लेकर दिनभर रौनक रही। लोगों ने कद्दू, साग, चना दाल, चावल, मटर, धनिया, अगस्त फूल और पूजन सामग्री की जमकर खरीदारी की।

ज्योतिषीय संयोग भी अनुकूल

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार इस बार छठ महापर्व शोभन, रवि और सिद्ध योग के शुभ संयोग में शुरू हो रहा है। रविवार को रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को त्रिपुष्कर और रवियोग के शुभ संयोग में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन होगा।

शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व

वैदिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि और आरोग्यता का पर्व है। नहाय-खाय में लौकी, चना दाल और अरवा चावल का सेवन व्रती को ऊर्जा और पवित्रता प्रदान करता है। खरना में ईख के रस और गुड़ से बने प्रसाद को ग्रहण करने से त्वचा रोग, नेत्र पीड़ा और शरीर की थकान दूर होती है।

स्वास्थ्य से भी जुड़ा है पर्व का विज्ञान

ज्योतिष और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौसम में शरीर में फास्फोरस की कमी हो जाती है, जिससे रोग बढ़ने लगते हैं। छठ में गुड़, ईख और मौसमी फलों का सेवन शरीर में आवश्यक तत्वों की पूर्ति करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

घाटों पर उमड़ा श्रद्धा का सागर

राजधानी में गंगा घाटों से लेकर छोटे-छोटे तालाबों तक सजावट और रोशनी से माहौल भक्तिमय है। निगम प्रशासन की ओर से घर-घर गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए विशेष टैंकर सेवा चलाई जा रही है। घाटों पर सुरक्षा बलों की तैनाती और ड्रोन से निगरानी की व्यवस्था भी की गई है।

चार दिवसीय छठ अनुष्ठान का क्रम:

25 अक्टूबर : नहाय-खाय

26 अक्टूबर : खरना पूजन

27 अक्टूबर : शाम का अर्घ्य (अस्ताचलगामी सूर्य)

28 अक्टूबर : सुबह का अर्घ्य (उदयमान सूर्य)

सूर्योदय – सुबह 6:24 बजे | सूर्यास्त – शाम 5:36 बजे

सूर्य की आराधना, आत्मा की शुद्धि और लोक आस्था के इस अद्भुत संगम ने एक बार फिर बिहार और पूरे उत्तर भारत को छठमय बना दिया है।

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