चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में एसआईआर की डेडलाइन सात दिन बढ़ाई

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया की डेडलाइन सात दिन बढ़ा दी है। अब यह प्रक्रिया 11 दिसंबर तक चलेगी। आयोग ने नोटिस जारी कर बताया कि पुनरीक्षण के बाद मतदाता सूची के मसौदे का प्रकाशन 16 दिसंबर को होगा, जबकि अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी।

चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाताओं के नाम दर्ज करने के लिए फॉर्म भरने यानी इन्युमरेशन (Enumeration) की अवधि भी अब 11 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। इसी तर्ज पर मतदान केंद्रों यानी पोलिंग बूथों का आवंटन भी 11 दिसंबर तक पूरा किया जाएगा। 30 नवंबर को जारी शेड्यूल के अनुसार, आयोग 12 से 15 दिसंबर के बीच कंट्रोल टेबल तैयार करेगा और सभी 12 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं की मसौदा सूची (ड्राफ्ट रोल) भी इसी अवधि में तैयार कर ली जाएगी।

मतदाता अपनी आपत्तियां 16 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच दर्ज करवा सकते हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 16 दिसंबर से 7 फरवरी के बीच सभी राज्यों के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) मतदाताओं की आपत्तियों पर सुनवाई करेंगे। इसी अवधि में चुनाव आयोग नोटिस जारी करके मतदाताओं से जवाब भी तलब करेगा। 10 फरवरी को ड्राफ्ट रोल की सभी पहलुओं पर समीक्षा की जाएगी, जिसके बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने की अनुमति दी जाएगी।

साथ ही आयोग ने बताया कि यह दूसरा चरण एसआईआर के तहत किया जा रहा है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर को केरल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों की शुद्धि का अभ्यास शुरू करने की घोषणा की थी। इस चरण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

चुनाव आयोग का यह कदम सुनिश्चित करता है कि मतदाता सूची पूरी तरह से अद्यतन और सटीक हो, जिससे आगामी चुनावों में निष्पक्ष और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित किया जा सके। आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे अपने नामों की जांच करें और किसी भी गड़बड़ी या त्रुटि की स्थिति में समय पर आपत्ति दर्ज कराएं।

इससे पहले, एसआईआर प्रक्रिया का पहला चरण भी विभिन्न राज्यों में सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है। इस बार की डेडलाइन बढ़ाने का मकसद मतदाताओं को पर्याप्त समय देना और अंतिम सूची को त्रुटिरहित तैयार करना है।

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