भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर ने पहली बार सूरज से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का चांद के वातावरण पर प्रभाव दर्ज किया है। यह ऐतिहासिक अवलोकन चंद्रयान-2 पर लगे साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट CHACE-2 (Chandrayaan-2 Atmospheric Compositional Explorer-2) की मदद से किया गया।
इसरो के अनुसार, यह घटना मई 2024 में हुई जब सूरज से निकलने वाली CME की एक श्रंखला चांद की ओर बढ़ी। जब यह सौर तूफान चंद्रमा की सतह से टकराया, तो चांद के दिन वाले हिस्से के बेहद पतले वातावरण — जिसे एक्सोस्फीयर कहते हैं — में अचानक दबाव और घनत्व में काफी वृद्धि दर्ज की गई।
CHACE-2 के आंकड़ों से पता चला कि इस दौरान न्यूट्रल एटम और मॉलिक्यूल की संख्या में एक ऑर्डर ऑफ मैग्नीट्यूड से अधिक की बढ़ोतरी हुई। यह निष्कर्ष लंबे समय से बने वैज्ञानिक मॉडल्स की पुष्टि करता है, लेकिन अब पहली बार इसे प्रत्यक्ष रूप से मापा गया है।
CME दरअसल सूर्य की सतह से होने वाले शक्तिशाली विस्फोटों के दौरान अंतरिक्ष में फेंका गया चार्ज प्लाज्मा होता है, जो अंतरिक्षीय मौसम को प्रभावित करता है। यह खोज इसलिए भी खास है क्योंकि यह दिखाता है कि सौर गतिविधियां चंद्रमा के वातावरण को अस्थायी रूप से बदल सकती हैं, जो भविष्य में वहां मानव बेस स्थापित करने की योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है।
इसरो ने कहा कि यह अवलोकन चंद्रमा पर भविष्य की खोजों और जीवन की संभावनाओं के लिए अहम जानकारी प्रदान करेगा।
