गीता उलझन में फंसे विश्व के लिए समाधान प्रस्तुत करती है : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने रविवार को कहा कि नैतिक भ्रम, आपसी संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रही दुनिया के लिए भगवद् गीता कालातीत समाधान और सही दिशा प्रदान करती है। जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’’ में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक औपचारिकता निभाना नहीं, बल्कि लोगों को गीता के अनुरूप जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।

भागवत ने कहा कि गीता को केवल सुनना या पढ़ना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके 700 श्लोकों के संदेश को समझना, मनन करना और दैनिक जीवन में उतारना आवश्यक है। उन्होंने कुरुक्षेत्र में अर्जुन की दुविधा और आज के वैश्विक परिदृश्य के बीच समानताएं उजागर करते हुए कहा कि भौतिक प्रगति के बावजूद दुनिया दिशाहीन, थकी हुई और मानसिक रूप से उलझी हुई है। ‘‘यहां धन और सुविधा तो है, पर शांति और संतोष का अभाव है।’’

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान सदियों तक दुनिया का मार्गदर्शन करता रहा है और गीता उसी ज्ञान का सार है। ‘‘जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने अर्जुन के भ्रम को दूर किया, उसी प्रकार गीता आज भी मानवता को उसकी चुनौतियों का सामना करने में शक्ति देती है।’’ उन्होंने कहा कि गीता समस्याओं से भागने के बजाय उनका दृढ़ता से सामना करने की प्रेरणा देती है। ‘‘कृष्ण अर्जुन से कहते हैं—भागो मत, स्थिर रहो और अहंकार व भय के बिना अपना कर्तव्य निभाओ।’’

भागवत ने कहा कि सच्चा बल निस्वार्थ भाव से किए गए कर्तव्य में है। ‘‘स्वार्थ से किए गए बड़े काम भी मूल्यहीन हैं, जबकि दूसरों के हित में किए गए छोटे कार्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।’’ उन्होंने भारत की सभ्यतागत यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि देश ने समय-समय पर गौरव और प्रतिकूलता दोनों को झेला है। ‘‘भारत कभी विश्वगुरु था। उसने आक्रमणों को सहा और फिर भी अडिग रहा। हमें दोबारा उठने के लिए अपनी जड़ें पहचाननी होंगी।’’

उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे गीता का नियमित अध्ययन करें और धीरे-धीरे उसकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें। भागवत ने कहा कि यदि समाज गीता को अपनाएगा, तो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र—तीनों में सकारात्मक परिवर्तन संभव होगा और भारत पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

कार्यक्रम में गीता के ज्ञान को सरल और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करने की पहल की उन्होंने प्रशंसा की।

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