मुंबई, 5 नवंबर : भारत के युवा अब कर्ज को बोझ नहीं, बल्कि अवसर का माध्यम मानने लगे हैं। वे ऋण का इस्तेमाल अपने कौशल विकास, करियर उन्नति और उद्यमशीलता के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कर रहे हैं। यह खुलासा डिजिटल ऋण मंच ‘एमपॉकेट’ के एक नये सर्वेक्षण में हुआ है।
सर्वेक्षण के अनुसार, आज की पीढ़ी के लिए ऋण तक पहुंच किसी वित्तीय निर्भरता का प्रतीक नहीं, बल्कि संभावनाओं का विस्तार है। इसमें भाग लेने वाले 3,000 से अधिक युवा भारतीयों में से 63 प्रतिशत ने कहा कि ऋण ने उनकी वित्तीय भलाई पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
करीब 40 प्रतिशत उत्तरदाता ऋण का उपयोग व्यावसायिक विकास (21.1%), जीवनशैली सुधार (20%) और शिक्षा (16.5%) जैसे भविष्योन्मुखी उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि युवा अब उपभोग आधारित कर्ज के बजाय आत्म-विकास में निवेश पर जोर दे रहे हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि अब भी 26.3 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए और 12.4 प्रतिशत लोग आपात स्थितियों में ऋण पर निर्भर हैं, लेकिन एक नई प्रवृत्ति यह दिखा रही है कि युवा भारत स्व-निवेश और दीर्घकालिक विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
दिलचस्प रूप से, लगभग 10 प्रतिशत उत्तरदाता ऋण का उपयोग फ्रीलांसिंग, रचनात्मक परियोजनाओं या छोटे व्यवसायों के लिए कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि वित्तीय पहुंच अब देश के शहरों और कस्बों में उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहन दे रही है।
एमपॉकेट के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गौरव जालान ने कहा, “हम देख रहे हैं कि युवा भारत वित्तीय क्षेत्र में एक नए आत्मविश्वास के साथ जुड़ रहा है। ऋण अब केवल आवश्यकता नहीं रह गया है, बल्कि यह आत्म-विकास का साधन बन गया है। जब इसका जिम्मेदारी से उपयोग किया जाता है, तो यह लोगों को अपने कौशल बढ़ाने, भविष्य की योजना बनाने और अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदारी करने की शक्ति देता है।”
एमपॉकेट फाइनेंशियल सर्विसेज, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पंजीकृत एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है, देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए कार्य कर रही है। कंपनी का कहना है कि आधुनिक डिजिटल युग में युवाओं की यह सोच भारत के फिनटेक सेक्टर में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में संकेत देती है।
