कानपुर। वित्तीय चतुराई और अनुशासन का एक अनोखा नमूना पेश करते हुए कानपुर के मनीष धमेजा का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। धमेजा के पास कुल 1,638 वैध क्रेडिट कार्ड हैं — संख्या इतनी बड़ी होने के बावजूद उन्होंने इसे ‘पैसे उड़ाने’ का माध्यम नहीं बल्कि ‘कमाने’ का जरिया बना लिया है।
मनीष बताते हैं कि प्रत्येक कार्ड के रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक, एयर माइल्स, होटल वाउचर, मूवी टिकट और फ्यूल डिस्काउंट का पूरा फायदा उठाने के लिए उन्होंने वर्षों में एक सख़्त सिस्टम और नियम-कायदे तैयार किए हैं। उनका दावा है कि उन्होंने हर कार्ड को शून्य कर्ज (zero debt) की स्थिति में रखा है — यानी कार्ड से खर्च जरूर करते हैं, पर समय पर बिल चुका कर किसी भी कार्ड पर बकाया नहीं होने देते। इस तरीके से वह न केवल खर्च की रिकवरी करते हैं, बल्कि रिवॉर्ड्स के जरिए नेट लाभ भी कमाते हैं।
धमेजा ने कहा, “मैंने क्रेडिट कार्ड्स को ‘पैसे उड़ाने’ का नहीं, ‘कमाने’ का तरीका बना लिया है। अनुशासन, समय पर भुगतान और ऑफर्स की सही समझ मेरी सफलता की चाबी हैं।” उनके इस दृष्टिकोण ने कार्ड्स के पारंपरिक इस्तेमाल को चुनौती दी है और चर्चा का विषय बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जबकि रिवॉर्ड रणनीतियाँ लाभदायक हो सकती हैं, वे केवल अनुशासन और समझदारी के साथ ही काम करती हैं। कई कार्ड रखने से ऑफर्स का लाभ तो मिलता है, पर समय पर भुगतान, शुल्क और सिक्योरिटी पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है।
मनीष धमेजा की कहानी वित्तीय सूझबूझ और रिवॉर्ड्स-आधारित गणित का उदाहरण है — साथ ही चेतावनी भी कि क्रेडिट कार्ड्स का उपयोग तभी सुरक्षित और लाभकारी है जब उपयोगकर्ता के पास सख्त वित्तीय डिसिप्लिन और ट्रैकिंग सिस्टम मौजूद हो।
