ओबीसी सूची में शामिल करने हेतु 18 जातियों के आंकड़े मांगे: बिहार से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की मांग

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर  – राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने बिहार सरकार से केंद्रीय ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची में शामिल करने के लिए प्रस्तावित 18 जातियों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति से संबंधित अद्यतन आंकड़े उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। आयोग का कहना है कि इन आंकड़ों के बिना सूची में जातियों को जोड़ने पर निर्णय नहीं लिया जा सकता।

यह मांग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर और सदस्य भुवन भूषण कमल द्वारा पिछले सप्ताह पटना में राज्य सरकार के अधिकारियों और संबंधित समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के बाद की गई है। बैठक में आयोग ने लंबित प्रस्तावों की समीक्षा की थी।

हंसराज अहीर ने कहा, “हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि इन 18 समुदायों के बारे में अद्यतन आंकड़े शीघ्र भेजें। संभवतः एक महीने के भीतर फिर से बैठक होगी।”

सूत्रों के अनुसार, बिहार सरकार ने बताया कि वह इन समुदायों से संबंधित आंकड़े अभी एकत्र कर रही है, और इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए।

आयोग, एक वैधानिक निकाय है जो केंद्रीय सूची में किसी जाति को शामिल करने या बाहर करने से संबंधित सिफारिश केंद्र सरकार को देता है। इन 18 जातियों में कुछ जातियां जैसे छिप्पी, सई, इत्फरोश/गधेरी पहले से ही केंद्रीय ओबीसी सूची में हैं, लेकिन बिहार सरकार ने इनके उप-समूहों को अलग पहचान देने की मांग की है।

इस सूची में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों की जातियां शामिल हैं – जैसे बाथम वैश्य, बियाहुत कलवार, मोदक/मायरा, सैंथवार, समरी वैश्य, सुरजापुरी मुस्लिम और इब्राहिमी।

हंसराज अहीर ने यह भी बताया कि आयोग अन्य राज्यों के इसी तरह के प्रस्तावों पर भी विचार कर रहा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि हाल ही में आयोग ने महाराष्ट्र की 15 जातियों और उप-समूहों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की है।

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