नयी दिल्ली, 30 दिसंबर : कांग्रेस ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग पर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर बार-बार ‘यूटर्न’ लेने का आरोप लगाया और मांग की कि आयोग स्पष्ट करे कि वह किस प्रक्रिया का पालन कर रहा है और किस सॉफ्टवेयर या ऐप का उपयोग किया जा रहा है।
पार्टी के लोकसभा सदस्य शशिकांत सेंथिल ने संवाददाताओं से बातचीत में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने बिहार में एसआईआर के दौरान ‘डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर’ का उपयोग बंद कर दिया था, जबकि बाद में 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसे फिर से शुरू किया गया।
सेंथिल ने कहा कि पहले डुप्लीकेट मतदाता प्रविष्टियों की पहचान और उन्हें चिह्नित करने के लिए ‘डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल किया जाता था। यदि कोई मतदाता एक से अधिक बूथ या जिले में पंजीकृत पाया जाता था, तो सॉफ्टवेयर उसे चिह्नित करता था और इसके बाद बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) द्वारा जमीनी सत्यापन किया जाता था। यदि संबंधित व्यक्ति उस क्षेत्र का सामान्य निवासी नहीं होता था, तो डुप्लीकेट प्रविष्टि हटा दी जाती थी।
उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था हर वार्षिक संशोधन के दौरान लागू की जाती रही है और वर्ष 2023 में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने बिहार में एसआईआर के दौरान इस सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया। उनके अनुसार, अब यह जानकारी सामने आई है कि बिहार की मतदाता सूची में कथित तौर पर अभी भी लगभग 14.5 लाख डुप्लीकेट प्रविष्टियां मौजूद हैं।
सेंथिल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस प्रक्रिया की निर्वाचन आयोग ने 2023 तक सराहना की थी, उसी पर अचानक ‘यूटर्न’ लेना बेहद चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग लंबे समय से यह दावा करता रहा कि मतदाता सूची पूरी तरह ‘पाक-साफ’ है, लेकिन कांग्रेस द्वारा ‘वोट चोरी’ से जुड़े सबूत सामने रखने के बाद आयोग एसआईआर को लेकर अलग-अलग रुख अपनाने लगा।
कांग्रेस सांसद ने मांग की कि निर्वाचन आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ यह बताए कि वह किस प्रक्रिया का अनुसरण कर रहा है। उन्होंने सवाल किया कि डी-डुप्लीकेशन प्रक्रिया दूसरे चरण में कब शुरू की गई, कब बंद की गई और क्या फिलहाल इसका उपयोग हो रहा है या नहीं। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट करने की मांग की कि वह कौन सा नया ऐप है, जिसके माध्यम से ये प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं।
सेंथिल ने यह दावा भी किया कि एसआईआर के तहत तमिलनाडु की मतदाता सूची से करीब 97 लाख नाम हटाए गए हैं, जिनमें से लगभग छह लाख नाम अकेले उनके संसदीय क्षेत्र तिरुवल्लूर से काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को इस पर कोई चिंता नहीं दिखाई दे रही है।
