ईडी ने पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 67 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

नयी दिल्ली, 8 नवंबर : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ चल रही धन शोधन जांच के तहत 67 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने का नया आदेश जारी किया है। एजेंसी ने शनिवार को कहा कि यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई है और कुर्क की गई संपत्तियां पीएफआई के “लाभकारी स्वामित्व और नियंत्रण” में थीं।

ईडी के बयान के अनुसार, ये संपत्तियां पीएफआई से जुड़े कई ट्रस्टों और संस्थाओं के नाम पर दर्ज हैं, जिनमें ग्रीन वैली फाउंडेशन, अलप्पुझा सोशल कल्चरल एंड एजुकेशन ट्रस्ट, पंडालम एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट (पथनमथिट्टा), इस्लामिक सेंटर ट्रस्ट (वायनाड), हरिथम फाउंडेशन (मलप्पुरम), पेरियार वैली चैरिटेबल ट्रस्ट (अलुवा), वल्लवुनाड ट्रस्ट (पलक्कड़) और एसडीपीआई के नाम पर पंजीकृत कुछ भूखंड शामिल हैं।

एजेंसी ने बताया कि 6 नवंबर को जारी अनंतिम कुर्की आदेश के तहत 67.03 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को जब्त किया गया। इस कार्रवाई के साथ अब तक पीएफआई से जुड़ी कुल 129 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैं।

ईडी के अनुसार, पीएफआई ने इन संपत्तियों का उपयोग “शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम” चलाने और अपने सदस्यों को “रक्षात्मक और आक्रामक युद्धाभ्यास” सिखाने के लिए किया। एजेंसी ने कहा, “पीएफआई नकली मालिकों के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों पर हथियारों के साथ प्रशिक्षण देकर अपने जिहादी एजेंडे को आगे बढ़ा रहा था। इन कक्षाओं का मकसद संगठन के कैडरों को हिंसक गतिविधियों के लिए तैयार करना था।”

केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में पीएफआई को गैरकानूनी संगठन घोषित कर उस पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया था। यह कार्रवाई ईडी, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और राज्य पुलिस बलों की संयुक्त छापेमारी के बाद की गई थी।

ईडी ने बताया कि पीएफआई के कई प्रमुख नेता स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के पूर्व सदस्य रहे हैं। एजेंसी ने कहा, “पीएफआई की उत्पत्ति बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध से जुड़ी है। उस समय सिमी से जुड़े कई लोग बाद में पीएफआई के रूप में सक्रिय हुए।”

एजेंसी ने दावा किया कि जांच में अब तक पीएफआई द्वारा अपराध से अर्जित आय का मूल्य 131 करोड़ रुपये आंका गया है। ईडी के अनुसार, “इस धनराशि का उपयोग भारत में हिंसक और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश को आगे बढ़ाने के लिए किया गया था, ताकि देश की धर्मनिरपेक्षता, एकता और अखंडता को कमजोर किया जा सके।”

एजेंसी ने कहा कि पीएफआई भारत और विदेश से बैंकिंग चैनलों, हवाला नेटवर्क और चंदों के जरिए धन जुटा रहा था। इस धन का इस्तेमाल “आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण” में किया जा रहा था।

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