नयी दिल्ली, 14 नवंबर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन पर रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी शुक्रवार को एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए, जिसके बाद ईडी ने उन्हें अब 17 नवंबर को दोबारा पेश होने का नया नोटिस भेजा है। यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जयपुर–रींगस राजमार्ग परियोजना से जुड़ी कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में की गई है।
एजेंसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनिल अंबानी ने शुक्रवार को ‘डिजिटल माध्यम’ से उपस्थित होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ईडी ने इसे ठुकरा दिया। वहीं दूसरी ओर, अंबानी के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया कि उन्होंने लिखित रूप से ईडी को जांच में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया है। बयान में यह भी उल्लेख है कि मामला लगभग 15 वर्ष पुराना है और एक सड़क ठेकेदार से संबंधित है।
ईडी ने हाल ही में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की लगभग 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की थीं। एजेंसी के अनुसार, जांच में यह सामने आया था कि जयपुर–रींगस राजमार्ग परियोजना में करीब 40 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी हुई। आरोप है कि सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से धन को दुबई भेजा गया, जिससे 600 करोड़ रुपये से अधिक के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का खुलासा हुआ।
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने हवाला कारोबार से जुड़े कई कथित डीलरों और अन्य व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं। इन बयानों के आधार पर ही एजेंसी ने अनिल अंबानी को तलब करने का फैसला किया।
अनिल अंबानी की ओर से जारी बयान में साफ किया गया कि 2010 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने जेआर टोल रोड (जयपुर–रींगस) के निर्माण के लिए ईपीसी अनुबंध प्रदान किया था। यह पूरी तरह घरेलू अनुबंध था और इसमें कोई विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था। साथ ही, यह परियोजना पूर्ण होकर 2021 से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के पास है। बयान में यह भी कहा गया कि अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में शामिल नहीं हैं।
ईडी अब 17 नवंबर को अंबानी की व्यक्तिगत उपस्थिति की प्रतीक्षा कर रही है, जिसके बाद मामले की जांच आगे बढ़ेगी।
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