इंडिगो परिचालन संकट आज भी : दिल्ली में 134 और बेंगलुरु में 127 उड़ानें रद्द, यात्रियों की परेशानियाँ जारी

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का परिचालन संकट सोमवार को भी थमता नजर नहीं आया। दिल्ली और मुंबई सहित कई बड़े हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द होने और भारी देरी का सिलसिला जारी है। सबसे अधिक प्रभाव दिल्ली और बेंगलुरु के हवाई अड्डों पर देखा गया, जहां सोमवार को सैकड़ों यात्री सुबह से ही जानकारी और व्यवस्था के अभाव में परेशान नज़र आए।

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आज इंडिगो की 134 उड़ानें रद्द हुईं, जिनमें 75 प्रस्थान और 59 आगमन वाली उड़ानें शामिल हैं। इसी तरह, बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 127 उड़ानें रद्द की गईं, जिससे दक्षिण भारत में भी हवाई यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई। स्थिति को देखते हुए दिल्ली एयरपोर्ट ने सुबह 6:30 बजे एडवाइजरी जारी कर यात्रियों से घर से निकलने से पहले फ्लाइट स्टेटस चेक करने की अपील की, ताकि अनावश्यक भीड़ और असुविधा से बचा जा सके।

इंडिगो के इस बड़े परिचालन संकट की जड़ें नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में कुप्रबंधन से जुड़ी बताई जा रही हैं। डीजीसीए ने शनिवार, 6 दिसंबर को इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और सीओओ व अकाउंटेबल मैनेजर पोर्केरास को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में कहा गया कि एयरलाइन बड़े पैमाने पर परिचालन योजना बनाने और संसाधनों के कुशल प्रबंधन में असफल रही है, जिसके कारण उड़ान संचालन प्रभावित हुआ। डीजीसीए ने 24 घंटे में जवाब मांगा था, जिसे इंडिगो ने रविवार को अतिरिक्त समय—8 दिसंबर—तक बढ़ाने का अनुरोध किया।

उधर, केंद्र सरकार ने इंडिगो संकट की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है। समिति यह पता लगाने में जुटी है कि क्या एयरलाइन ने समय रहते एफडीटीएल नियमों के अनुरूप तैयारी नहीं की और क्या उसने अक्टूबर तक छूट प्राप्त करने की कोशिश की थी। सरकारी सूत्रों का कहना है कि उचित योजना बनाकर इस संकट से बचा जा सकता था, लेकिन एयरलाइन की तैयारी अधूरी रही।

सरकारी दबाव के बाद इंडिगो ने यात्रियों को राहत देने की दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं। रविवार शाम तक एयरलाइन ने 610 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया और देशभर में यात्रियों के 3,000 से अधिक बैगेज लौटाने की कार्रवाई पूरी की। इसके बावजूद, उड़ान रद्द होने और देरी से यात्रियों की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रहीं। एयरलाइन और नियामक एजेंसियों की बैठकों से आगे क्या समाधान निकलता है, इस पर अब सभी की नजरें टिकी हैं।

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