‘आया नीतीश, गया नीतीश’ जैसे लोगों को सत्ता से दूर करे जनता: खरगे

सासाराम/गया जी, 7 नवंबर  – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें अवसरवादी करार दिया और कहा कि जनता को “आया नीतीश, गया नीतीश” जैसे नेताओं को फिर से चुनने से बचना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्सी के अनुसार अपनी राजनीतिक दिशा बदलते रहे हैं।

खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि उन्हें समझना चाहिए कि जनता ने उन्हें देश चलाने के लिए प्रधानमंत्री बनाया, न कि नगरपालिका चुनाव में प्रचार करने के लिए। उन्होंने कहा, “नरेन्द्र मोदी को सिर्फ चुनाव से मतलब है। जब चुनाव आता है, तो वे अलग-अलग जगहों पर प्रचार करने निकल जाते हैं।”

खरगे ने शुक्रवार को रोहतास और गया जी में आयोजित चुनावी सभाओं में पलायन, बेरोजगारी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है ताकि प्रदेश से लोगों का पलायन रोका जा सके, बेरोजगारी कम हो और गांवों में खुशहाली लाई जा सके।

कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने चुनावों में वादों की झड़ी लगाई थी, जैसे कि 15-15 लाख रुपये खाते में भेजना, हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा, किसानों को MSP की गारंटी, गरीबों को पक्का मकान, महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी केवल झूठ बोलते हैं और समाज को मनुस्मृति के तहत चलाना चाहते हैं, जिसे डॉ. आंबेडकर ने चुनौती दी थी।

खरगे ने नीतीश कुमार पर भी कड़ा हमला किया और कहा कि मुख्यमंत्री 20 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद पलायन रोकने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा, “अगर थोड़ी शर्म है तो पहले पलायन बंद करें, रोजगार दें। जनता ने ऐसे अवसरवादियों को चुना तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। ऐसे लोगों को सत्ता से दूर रखना होगा।”

खरगे ने भाजपा और आरएसएस पर भी आरोप लगाया कि उनके संगठन में महिलाओं का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महागठबंधन तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बिहार में समानता, रोजगार और विकास सुनिश्चित करना चाहता है।

खरगे की यह चुनावी रैलियाँ आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही हैं, जिसमें बिहार के युवाओं, महिलाओं और पलायन प्रभावित क्षेत्रों को मुख्य लक्ष्य बनाया गया है।

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