शाहजहांपुर। आठवें वेतन आयोग के गठन में पेंशनरों के हितों की अनदेखी किए जाने के विरोध में सोमवार को शाहजहांपुर में सेवानिवृत्त कर्मचारियों और शिक्षकों का आक्रोश सड़कों पर दिखाई दिया। पेंशन पुनरीक्षण, डीआर (महंगाई राहत) की समानता और अन्य पेंशनरी लाभों को टर्म्स ऑफ रेफरेंस से बाहर रखे जाने से नाराज पेंशनर्स ने इसे अपने सम्मान और सुरक्षित भविष्य पर सीधा हमला बताया।
सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं शिक्षक समन्वय समिति, उत्तर प्रदेश तथा अखिल भारतीय राज्य पेंशनर्स फेडरेशन के आह्वान पर खिरनीबाग मैदान में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया। धरने में विभिन्न विभागों से सेवानिवृत्त कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनर्स बड़ी संख्या में शामिल हुए। हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर पेंशनर्स ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को मुखर रूप से उठाया।
धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पेंशन कोई दया या कृपा नहीं है, बल्कि कर्मचारियों द्वारा जीवन भर दी गई सेवा का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि हर वेतन आयोग में कार्यरत कर्मचारियों पर तो विचार किया जाता है, लेकिन पेंशनरों को बार-बार नजरअंदाज किया जाता है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अन्यायपूर्ण है। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि पेंशन पुनरीक्षण को वेतन आयोग के दायरे से बाहर रखना पेंशनरों के साथ भेदभाव है।
पेंशनर्स नेताओं ने सरकार से मांग की कि आठवें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में पेंशन पुनरीक्षण, डीआर समानता, पारिवारिक पेंशन और अन्य पेंशनरी सुविधाओं को तत्काल शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के दौर में पेंशनर्स का जीवन दिन-प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है, ऐसे में सरकार का यह रवैया चिंता का विषय है।
धरना स्थल पर मौजूद पेंशनर्स ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र ही उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन को प्रदेशव्यापी रूप दिया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से भेजने का निर्णय लिया गया।
