अंबाला, 27 अक्टूबर । अमेरिका से हाल ही में निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों के नवीनतम जत्थे में शामिल हरजिंदर सिंह (45) ने अपने अनुभव को बेहद दर्दनाक बताया। हरियाणा के अंबाला जिले के जगोली गांव निवासी हरजिंदर ने कहा, “मेरे पैर सूज गए हैं। मुझे विमान में 25 घंटे तक बेड़ियों में जकड़कर रखा गया था।”
हरजिंदर ने बताया कि बेहतर जीवन की तलाश में उन्होंने अमेरिका जाने के लिए लगभग 35 लाख रुपये खर्च किए थे, लेकिन अब उनका सपना टूट गया है। उन्होंने कहा, “मैंने वहां खाना बनाना सीखा था और फ्लोरिडा के जैक्सनविले में नौकरी कर रहा था। जिंदगी पटरी पर आने लगी थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने मुझे पकड़ लिया और निर्वासित कर दिया।”
उन्होंने कहा, “मुझे अमेरिका पसंद था, यह एक अच्छा देश है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने हमें वापस भेज दिया। कई भारतीयों को इसी तरह निर्वासित किया गया है।” हरजिंदर ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी गंवा दी है और अब परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
अधिकारियों के अनुसार, इस बार अमेरिका से लगभग 50 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया गया है, जिनमें हरियाणा के कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर, जींद और पानीपत जिलों के लोग शामिल हैं। इन प्रवासियों को लेकर विमान शनिवार देर रात दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा, जिसके बाद उन्हें उनके संबंधित जिलों में भेजकर परिवारों को सौंप दिया गया।
ज्यादातर निर्वासित लोग 25 से 40 वर्ष की आयु के हैं। उन्होंने बताया कि वे ‘डंकी रूट’ (गैरकानूनी रास्ते) के जरिये अमेरिका पहुंचे थे, जिसके लिए उन्होंने जमीनें बेच दीं, रिश्तेदारों से उधार लिया और वर्षों की बचत लगा दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत से अब तक पंजाब, हरियाणा और गुजरात से सैकड़ों युवाओं को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है। जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अमेरिकी एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की है, जिसके कारण अनेक भारतीय नागरिकों को देश लौटना पड़ा है।
