अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए पहले राज्यसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 3, भाजपा को 1 सीट पर जीत मिली

श्रीनगर, 24 अक्टूबर : पूर्ववर्ती राज्य के दो केंद्रशासित प्रदेशों — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख — में विभाजन के बाद हुए पहले राज्यसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा ने एक सीट अपने नाम की। विजयी प्रत्याशियों में नेकां के दो मुस्लिम, एक सिख और भाजपा के एक हिंदू उम्मीदवार शामिल हैं।

चौधरी मोहम्मद रमजान (नेशनल कॉन्फ्रेंस)

75 वर्षीय चौधरी मोहम्मद रमजान चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री हैं। उन्होंने पहली बार 1983 में उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव जीता था। रमजान ने 1987 और 1996 के चुनावों में भी यह सीट बरकरार रखी, जबकि 2002 में हारने के बाद 2008 में फिर से विधानसभा पहुंचे।
वह 1996 में फारूक अब्दुल्ला सरकार में मंत्री रहे। हालांकि 2014 और 2024 के विधानसभा चुनावों में वह सज्जाद गनी लोन से पराजित हुए। अपने विनम्र स्वभाव और संगठनात्मक पकड़ के लिए जाने जाने वाले रमजान नेकां के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार हैं।

 सज्जाद अहमद किचलू (नेशनल कॉन्फ्रेंस)

किश्तवाड़ के 60 वर्षीय सज्जाद अहमद किचलू जम्मू-कश्मीर के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता बशीर अहमद किचलू फारूक अब्दुल्ला सरकार में मंत्री थे और 2001 में निधन के समय सामाजिक कल्याण मंत्री के पद पर थे।
पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए सज्जाद ने 2002 के विधानसभा चुनाव में किश्तवाड़ से जीत दर्ज की, और 2008 में भी अपनी सीट बरकरार रखी।
हालांकि, 2014 और 2024 के चुनावों में वे हार गए, लेकिन 2015 में विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए। किचलू नेकां में विकास कार्यों और सामुदायिक जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं।

 गुरविंदर सिंह ओबेरॉय (नेशनल कॉन्फ्रेंस)

56 वर्षीय गुरविंदर सिंह ओबेरॉय, जिन्हें शम्मी ओबेरॉय के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में चुने जाने वाले दूसरे सिख सांसद हैं। वे पेशे से व्यापारी हैं और होटल प्रबंधन में डिप्लोमा धारक हैं।
वर्तमान में नेकां के कोषाध्यक्ष ओबेरॉय, पार्टी के दिवंगत नेता और विधान परिषद सदस्य धर्मवीर सिंह ओबेरॉय के पुत्र हैं। उन्होंने पीडीपी और कांग्रेस का समर्थन सुनिश्चित कर नेकां के लिए राज्यसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देवेंद्र सिंह राणा के पार्टी छोड़ने के बाद से वे नेकां में एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे। उन्हें फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला दोनों का करीबी माना जाता है।

 सत शर्मा (भारतीय जनता पार्टी)

64 वर्षीय सत शर्मा भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष और पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उन्हें पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के बाद दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
यह उनका दूसरा कार्यकाल है — वे 2015 से 2018 तक भी इस पद पर रह चुके हैं।
शर्मा ने 2014 में जम्मू पश्चिम विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी और पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में दो महीने मंत्री रहे। हालांकि 2024 के विधानसभा चुनाव में वे हार गए।
सत शर्मा संगठनात्मक क्षमता और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव के लिए भाजपा के भीतर मजबूत स्थिति रखते हैं।

इन परिणामों के साथ जम्मू-कश्मीर की राजनीति में क्षेत्रीय और सामाजिक प्रतिनिधित्व का संतुलन दिखा है — जहां नेकां ने कश्मीर घाटी से अपना दबदबा कायम रखा, वहीं भाजपा ने जम्मू क्षेत्र से अपनी पकड़ बनाए रखी।

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