विदेशी पूंजी निकासी से दबाव में रहा रुपया, 2025 में पांच प्रतिशत टूटा

Rupee remains under pressure due to foreign capital outflows, will...

मुंबई, 31 दिसंबर । विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग के कारण भारतीय रुपया वर्ष 2025 में करीब पांच प्रतिशत लुढ़क गया। इसके साथ ही रुपया इस साल एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली प्रमुख मुद्राओं में शामिल हो गया।

वर्ष 2025 के आखिरी कारोबारी सत्र में बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 13 पैसे गिरकर 89.88 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। महीने के अंत की डॉलर मांग और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से डॉलर की खरीदारी ने घरेलू मुद्रा पर दबाव बनाए रखा।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 89.89 प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के दौरान 89.95 के निचले स्तर तथा 89.84 के ऊपरी स्तर तक पहुंचा। अंत में यह 89.88 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पहले मंगलवार को रुपया 89.75 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

सालाना आधार पर रुपये में 2025 के दौरान कुल 4.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 31 दिसंबर 2024 को रुपया 85.64 प्रति डॉलर पर था, जो इस वर्ष के अंत तक कमजोर होकर लगभग 90 के स्तर के करीब पहुंच गया।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से रुपया एशियाई क्षेत्र की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल रहा है। उन्होंने कहा कि 2025 में रुपये में आई करीब पांच प्रतिशत की गिरावट पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक है।

भंसाली के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार निकासी, निवेशकों द्वारा हिस्सेदारी की बिक्री, रक्षा जरूरतों, तेल और सोने की बढ़ती मांग जैसे कारकों ने रुपये पर दबाव डाला। उन्होंने बताया कि इन कारणों से रुपया एक समय 91.08 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक पहुंच गया था, हालांकि बाद में इसमें कुछ सुधार देखने को मिला।

इस बीच, छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.10 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.33 पर कारोबार करता दिखा।

घरेलू शेयर बाजारों में हालांकि सकारात्मक रुख रहा। सेंसेक्स 545.52 अंक की तेजी के साथ 85,220.60 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 190.75 अंक चढ़कर 26,129.60 अंक पर पहुंच गया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हल्की नरमी देखने को मिली। ब्रेंट क्रूड 0.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61.41 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को बिकवाल रहे और उन्होंने शुद्ध रूप से 3,844.02 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

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