कोलकाता, 20 दिसंबर। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शनिवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के ताहिरपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में दिए गए भाषण से मतुआ समुदाय के प्रति उनकी “उदासीनता” साफ झलकती है। पार्टी का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद नाम हटाए जाने को लेकर मतुआ समुदाय अनिश्चितता और चिंता का सामना कर रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया।
तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण में दूरदर्शिता और जिम्मेदारी का अभाव था।
उन्होंने कहा,
“प्रधानमंत्री मोदी ने मतुआ समुदाय की चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया। उनके भाषण से समुदाय के प्रति उदासीनता झलकती है।”
घोष ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न पर एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने दावा किया कि राज्यव्यापी एसआईआर के बाद मतदाताओं की पहचान और नागरिकता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हुई हैं, खासकर मतुआ जैसे दलित हिंदू शरणार्थी समुदाय में, जो धार्मिक उत्पीड़न के बाद बांग्लादेश से पलायन कर पश्चिम बंगाल आए थे।
राज्य भर में एसआईआर के तहत मसौदा मतदाता सूची से 58,20,898 नाम हटाए जाने का दावा करते हुए टीएमसी नेता ने कहा कि इससे पश्चिम बंगाल के मतदाताओं की संख्या 7.66 करोड़ से घटकर 7.08 करोड़ रह गई है।
घोष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री भाजपा शासित राज्यों की पुलिस द्वारा भारतीय नागरिकों को कथित तौर पर बांग्लादेश भेजे जाने के मुद्दे पर भी चुप रहे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के हस्तक्षेप के बाद ही ऐसे लोग वापस भारत लौट पाए।
उनका इशारा प्रवासी महिला सुनाली खातून की ओर था, जो जून में बांग्लादेश भेजे जाने के बाद छह दिसंबर को भारत लौटी थीं।
टीएमसी नेता ने यह भी सवाल उठाया कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में गरीबों से जुड़ी केंद्रीय योजनाओं के लिए धन क्यों रोका हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया,
“प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया कि 100 दिवसीय ग्रामीण रोजगार योजना सहित कई केंद्रीय योजनाओं के हजारों करोड़ रुपये बंगाल को क्यों नहीं दिए जा रहे हैं, और इसके बजाय राज्य में विकास को लेकर झूठा नैरेटिव पेश किया जा रहा है।”
कुणाल घोष ने ताहिरपुर रैली के रास्ते में हुई एक ट्रेन दुर्घटना का मुद्दा भी उठाया, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। उन्होंने इसके लिए “मोदी के कार्यक्रम में भीड़ के कुप्रबंधन” को जिम्मेदार ठहराया।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, घने कोहरे के बीच ट्रेन की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हुई और तीन अन्य घायल हो गए, जो प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने जा रहे थे।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री को ‘नरेन्द्र मोदी वापस जाओ’ जैसे नारों वाले पोस्टरों के बारे में जानकारी है और मतुआ समुदाय भाजपा से बेहद नाराज है।
वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने दावा किया कि मतुआ समुदाय के लोग भाजपा और तृणमूल—दोनों से नाराज हैं।
उन्होंने कहा कि नागरिकता के मुद्दे पर दोनों दलों ने समुदाय को केवल “वोट बैंक” के रूप में इस्तेमाल किया है, जिसका एहसास अब प्रधानमंत्री को भी हो गया है।
