नई दिल्ली, 20 दिसंबर – कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि मोदी सरकार ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) पर हमला किया है और देश के किसानों, श्रमिकों और भूमिहीन ग्रामीणों के हितों को कमजोर किया है। उन्होंने पार्टी की ओर से नए “काले कानून” के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का भी संकल्प जताया।
सोनिया गांधी ने अपने वीडियो संदेश में याद दिलाया कि 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए मनरेगा कानून पारित किया गया था, जो ग्रामीण गरीबों और वंचित वर्ग के लिए रोज़ी-रोटी का साधन साबित हुआ। उन्होंने कहा, “मनरेगा ने महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया। ग्रामीणों को रोजगार का कानूनी हक मिला और ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाया गया।”
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पिछले 11 साल में इस योजना के माध्यम से गरीबों और बेरोजगार ग्रामीणों के हितों को नजरअंदाज किया। हाल ही में, उन्होंने कहा, मनरेगा पर “बुलडोजर” चला दिया गया, महात्मा गांधी का नाम हटाया गया और योजना का स्वरूप बिना विचार-विमर्श या विपक्ष को विश्वास में लिए बदल दिया गया। सोनिया गांधी ने कहा, “अब किसे, कितना, कहां और किस तरह रोजगार मिलेगा, यह जमीनी हकीकत से दूर दिल्ली में बैठकर तय किया जाएगा।”
सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने मनरेगा को लागू करने और उसके विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन यह योजना कभी किसी पार्टी का निजी मामला नहीं रही। उनका कहना था कि मोदी सरकार के कदमों से करोड़ों ग्रामीण गरीबों के अधिकारों पर हमला हुआ है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और उसके सभी नेता, कार्यकर्ता इस “काले कानून” के खिलाफ खड़े रहेंगे। सोनिया गांधी ने कहा, “20 साल पहले गरीब भाई-बहनों को रोजगार का अधिकार दिलाने के लिए मैंने संघर्ष किया था। आज भी मैं इस कानून के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं।”
सोनिया गांधी का यह बयान संसद में ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक’ पारित होने के तुरंत बाद आया, और उन्होंने कहा कि इस कानून का विरोध केवल राजनीतिक नहीं बल्कि देश और जनहित में है। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं और जनता से एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया।
