ED की बड़ी कार्रवाई: सुरेश रैना और शिखर धवन की ₹11.14 करोड़ की संपत्ति कुर्क, 1xBet ऑनलाइन बेटिंग एप केस में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना और शिखर धवन की कुल ₹11.14 करोड़ की संपत्ति अटैच की है। एजेंसी के अनुसार, दोनों खिलाड़ियों ने ऑनलाइन बेटिंग एप 1xBet के प्रमोशन से हुई कमाई को निवेश और संपत्ति खरीद में इस्तेमाल किया था। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत की गई।

सूत्रों के मुताबिक, रैना के ₹6.64 करोड़ के म्यूचुअल फंड निवेश और धवन की ₹4.5 करोड़ की संपत्ति को “प्रोसीड्स ऑफ क्राइम” यानी अपराध से अर्जित संपत्ति मानते हुए कुर्क किया गया है। ईडी अधिकारियों ने बताया कि जांच में दोनों क्रिकेटरों द्वारा 1xBet और उससे जुड़ी विदेशी कंपनियों के साथ जानबूझकर प्रमोशनल समझौते करने के सबूत मिले हैं।

सितंबर में ईडी ने 1xBet एप मामले में कई नामचीन हस्तियों से पूछताछ की थी, जिनमें युवराज सिंह, सुरेश रैना, शिखर धवन, रॉबिन उथप्पा, अभिनेता सोनू सूद, अभिनेत्री और पूर्व सांसद मिमी चक्रवर्ती तथा बंगाली अभिनेता अंकुश हाजरा शामिल थे। इसी मामले में उर्वशी रौतेला, जो 1xBet की इंडिया एंबेसडर रह चुकी हैं, को भी बुलाया गया था, लेकिन वे उस समय विदेश में थीं।

ईडी ने इन सभी से PMLA की धारा 50 के तहत पूछताछ की और उनके बैंक खातों व ट्रांजैक्शन की जांच की। रिपोर्ट्स के अनुसार, विज्ञापन शुल्क और प्रोमोशनल पेमेंट्स विदेशी संस्थाओं के माध्यम से किए गए थे, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग का संदेह गहराया।

इस मामले में आगे की कार्यवाही के लिए जब्ती आदेश को PMLA एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के पास भेजा जाएगा। कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद ईडी चार्जशीट दाखिल करेगी।

सरकार ने हाल ही में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पारित कर दिया है, जिसके तहत ड्रीम-11, रमी, पोकर और सभी ऑनलाइन बेटिंग एप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार का कहना है कि ऐसे ऐप्स से देश में मानसिक, सामाजिक और आर्थिक संकट पैदा हुआ है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, करीब 45 करोड़ लोग इन गेम्स से प्रभावित हैं और अब तक ₹20,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी गेमिंग डिसऑर्डर को मानसिक स्वास्थ्य समस्या की श्रेणी में रखा है। सरकार और ईडी की इस सख्ती को ऐसे ऑनलाइन बेटिंग नेटवर्क और उनसे जुड़े प्रचार अभियानों पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

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