डॉ. राजेश्वर सिंह का विज़न 2026: निरंतरता, गति और विश्वास की राजनीति

लखनऊ : सरोजनीनगर की राजनीतिक और सामाजिक यात्रा पिछले चार वर्षों में जिस दिशा में आगे बढ़ी है, उसने इस क्षेत्र को केवल लखनऊ का एक विधानसभा क्षेत्र भर नहीं रहने दिया, बल्कि इसे विकास, सुशासन और भविष्य की तैयारी का एक सशक्त मॉडल बना दिया है। वर्ष 2022 से 2025 तक का यह कालखंड सामान्य प्रशासनिक अवधि नहीं, बल्कि एक ऐसी परिवर्तनकारी यात्रा के रूप में उभरा है जिसमें योजनाओं का क्रियान्वयन, संस्थाओं का निर्माण और जनता का विश्वास—तीनों समानांतर रूप से आगे बढ़ते दिखे।

सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने वर्षांत 31 दिसंबर 2025 को अपने संदेश के माध्यम से इस यात्रा को सार्वजनिक रूप से साझा करते हुए यह स्पष्ट किया कि उनका दृष्टिकोण केवल अल्पकालिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि 2026 और उसके बाद के वर्षों के लिए एक दीर्घकालिक, संतुलित और “फ्यूचर-रेडी” सरोजनीनगर की नींव रखना है। उनका विज़न विकास को केवल इमारतों और सड़कों तक सीमित नहीं करता, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक सशक्तिकरण और सांस्कृतिक चेतना को समान महत्व देता है।

पिछले चार वर्षों में शिक्षा सरोजनीनगर के विकास मॉडल का केंद्रबिंदु बनकर उभरी है। यहां उच्च शिक्षा का विस्तार केवल संस्थानों की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ज्ञान, शोध और वैश्विक अवसरों से जुड़ने का माध्यम बना। नटकुर में प्रस्तावित भारतेंदु नाट्य अकादमी ने कला और रंगमंच को राष्ट्रीय पहचान देने की दिशा में ठोस आधार तैयार किया। वहीं, अंग्रेज़ी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (EFLU) के चकौली परिसर की स्वीकृति ने अंतरराष्ट्रीय अकादमिक संवाद के द्वार खोले। उत्तर प्रदेश राज्य इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (UPSIFS) के संचालन से आधुनिक फॉरेंसिक और आपराधिक न्याय शिक्षा को नया आयाम मिला, जो बदलते समय की जरूरतों के अनुरूप है।

कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के कृषि परिसर, पिपरसंड की स्वीकृति एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई, वहीं लतीफनगर गर्ल्स डिग्री कॉलेज ने बेटियों की उच्च शिक्षा को मजबूती दी। नीवां में प्रस्तावित आईटीआई युवाओं को उद्योग-अनुकूल कौशल से जोड़ते हुए रोजगार की ठोस संभावनाएं लेकर आई।

सरोजनीनगर की पहचान अब केवल शहरी विकास तक सीमित नहीं रही। यह क्षेत्र राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक ढांचे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर ने रक्षा निर्माण और उच्च तकनीकी निवेश को आकर्षित किया, जिससे न केवल आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं, बल्कि क्षेत्र की रणनीतिक अहमियत भी बढ़ी। डीआरडीओ प्रयोगशाला और निर्माणाधीन नेवल वॉर म्यूज़ियम ने सरोजनीनगर को राष्ट्रीय सुरक्षा मानचित्र पर एक विशिष्ट स्थान दिलाया। राज्य आपदा प्रबंधन मुख्यालय की स्थापना ने आपात परिस्थितियों में त्वरित और संगठित प्रतिक्रिया की प्रशासनिक क्षमता को सशक्त किया।

औद्योगिक और आर्थिक विकास की बात करें तो अशोक लीलैंड का ईवी प्लांट ग्रीन मोबिलिटी, बड़े निवेश और रोजगार सृजन का प्रतीक बनकर उभरा है। नादरगंज में प्रस्तावित आईटी हब स्टार्टअप संस्कृति, तकनीकी नवाचार और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह पहल सरोजनीनगर को पारंपरिक औद्योगिक क्षेत्र से आगे बढ़ाकर भविष्य की अर्थव्यवस्था से जोड़ती है।

कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी सरोजनीनगर ने अभूतपूर्व प्रगति देखी है। चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 ने क्षेत्र को वैश्विक संपर्क से जोड़ा। किसान पथ, लखनऊ–कानपुर एक्सप्रेसवे, शहीद पथ–एयरपोर्ट फ्लाईओवर, बंगला बाजार–क़िला फ्लाईओवर, नगराम रोड–अंसल फ्लाईओवर, अर्जुनगंज-कैंट ब्रिज, पिपरसंड रेल अंडरपास, अमौसी अंडरपास और हरौनी रोड आरओबी जैसे प्रोजेक्ट्स ने आवागमन को तेज़, सुरक्षित और सुगम बनाया। लखनऊ–कानपुर एमईएमयू ट्रेन सुविधा के विस्तार से दैनिक यात्रियों को बड़ी राहत मिली।

शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता दी गई। दो नए एसटीपी की स्थापना, तीन की स्वीकृति और शिवरी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट ने स्वच्छता को संस्थागत स्वरूप दिया। क़िला मोहम्मदी नाला पुनर्निर्माण ने वर्षों पुरानी जलभराव समस्या का स्थायी समाधान प्रस्तुत किया।

स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक सुधार देखने को मिले। लोकबंधु अस्पताल में ओपीडी विस्तार, ब्लड बैंक, सीटी-स्कैन और उन्नत नेत्र शल्य चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ सरोजनीनगर सीएचसी और सात पीएचसी के उन्नयन ने यह सुनिश्चित किया कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें।

डॉ. राजेश्वर सिंह के मॉडल में सामाजिक और डिजिटल सशक्तिकरण को विशेष स्थान मिला। सीएसआर आधारित तारा शक्ति सिलाई केंद्रों के माध्यम से लगभग 10,000 महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली, जबकि तारा शक्ति निःशुल्क रसोई प्रतिदिन हजारों जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करा रही है। डिजिटल शिक्षा के लिए स्थापित डिजिटल एवं युवा सशक्तिकरण केंद्र, डिजिटल लाइब्रेरी, स्कूलों में इंटरएक्टिव पैनल और मॉडल स्कूल जैसी पहलें ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बनीं।

युवा सशक्तिकरण के अंतर्गत यूथ क्लबों का विस्तार, मेधावियों को लैपटॉप, टैबलेट और अन्य प्रोत्साहन—यह सब एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने की दिशा में कदम हैं जो आत्मविश्वासी, सक्षम और राष्ट्रनिर्माण में भागीदार हो।

खेल, फिटनेस और संस्कृति भी इस विकास यात्रा का अहम हिस्सा रहे। ओपन एयर जिम, खेल टूर्नामेंट, मंदिरों का सौंदर्यीकरण और सांस्कृतिक यात्राओं ने सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को नई ऊर्जा दी। वहीं “आपका विधायक–आपके द्वार” जैसे जनसंपर्क कार्यक्रमों और 24×7 सक्रिय विधायक कार्यालय ने शासन को जनता के और करीब लाया।

वर्षांत संदेश में डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्पष्ट किया कि सरोजनीनगर की यह यात्रा केवल भौतिक विकास की कहानी नहीं, बल्कि विश्वास, सहभागिता और संवेदनशील नेतृत्व की मिसाल है। नववर्ष 2026 उनके लिए नए लक्ष्य, नई गति और नए विश्वास का प्रतीक है—जहां विकास योजनाओं में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। यही सरोजनीनगर मॉडल की असली पहचान है।

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