कोलंबो/नई दिल्ली। हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर्स (NSAs) की 7वीं बैठक श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में आयोजित हुई। बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब हिंद महासागर क्षेत्र को समुद्री आतंकवाद, अवैध मछली पकड़ने, ड्रग तस्करी और जियो-पॉलिटिकल तनाव जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बैठक को संबोधित करते हुए अजीत डोभाल ने हिंद महासागर की भूमिका और महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक समुद्री क्षेत्र नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के देशों की साझा सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक विरासत है। डोभाल ने कहा, “समुद्र हमारी सबसे बड़ी विरासत है। समुद्री भूगोल से जुड़े देशों के तौर पर, इस इलाके की सेफ्टी, सिक्योरिटी और स्टेबिलिटी पक्का करना हमारी ज़िम्मेदारी है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय देशों को वैश्विक परिस्थितियों, उभरते खतरे और नई तकनीक के चलते बदलते सुरक्षा परिदृश्यों का संज्ञान लेकर सामूहिक तौर पर रणनीति तैयार करनी होगी।
CSC की इस बैठक में समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, मानव–तस्करी, समुद्री निगरानी क्षमताएँ बढ़ाने, आपदा प्रबंधन सहयोग और सूचना-साझेदारी पर कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा हुई। भारत ने इस मंच के माध्यम से क्षेत्रीय साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
बैठक में यह भी माना गया कि हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिरता का सीधा असर व्यापार, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय शांति पर पड़ता है। इसलिए सदस्य देशों ने सहमति जताई कि समुद्री मार्गों की सुरक्षा, नियम आधारित समुद्री व्यवस्था और संयुक्त ऑपरेशन जैसे कदम भविष्य में और तेज़ किए जाएंगे।
CSC की यह बैठक क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है।
