लखनऊ, 25 दिसंबर । समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्नाव दुष्कर्म मामले को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि न्याय तभी सार्थक होता है, जब वह न्याय चाहने वालों को समझ में आने वाली भाषा में दिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय की प्रक्रिया में भाषाई समावेशिता एक निर्णायक तत्व है।
अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ खाते पर पोस्ट करते हुए कहा, “इंसाफ की जुबान समझ आने से ही इंसाफ होगा। न्याय के लिए भाषाई समावेश भी निर्णायक बिंदु है।” उन्होंने इसी पोस्ट में अंग्रेजी में भी टिप्पणी करते हुए कहा कि न्याय का वितरण ऐसी भाषा में होना चाहिए, जिसे इसमें शामिल सभी पक्ष समझ सकें।
सपा प्रमुख की यह प्रतिक्रिया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से जुड़े उन्नाव दुष्कर्म मामले से संबंधित है। इस मामले में बलात्कार पीड़िता ने कथित तौर पर अदालत में कार्यवाही अंग्रेजी में होने पर चिंता व्यक्त की थी।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने 23 दिसंबर को यह कहते हुए कि सेंगर पहले ही सात वर्ष और पांच महीने जेल में बिता चुका है, बलात्कार के मामले में उसे दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया था। हालांकि, यह निलंबन सेंगर की दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील के लंबित रहने तक ही प्रभावी रहेगा।
सेंगर ने दिसंबर 2019 में निचली अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। अदालत ने कई शर्तों के साथ उसे 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के तीन जमानतदार पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही उसे पीड़िता के दिल्ली स्थित आवास के पांच किलोमीटर के दायरे में न आने और पीड़िता या उसकी मां को धमकी न देने के निर्देश दिए गए हैं। शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में जमानत रद्द करने की चेतावनी भी दी गई है।
हालांकि, पूर्व विधायक को फिलहाल जेल में ही रहना होगा, क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मृत्यु के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है, जिसमें उसे जमानत नहीं मिली है।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में उन्नाव दुष्कर्म मामला उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में आया था, जब तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोप लगे थे। मुकदमे के दौरान पीड़िता और उसके परिवार ने लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सुरक्षा की मांग की थी।
