लखनऊ, 22 दिसंबर – उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को विधानसभा में आरोप लगाया कि 2017 से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के अस्पतालों की स्थिति बेहद खराब थी और उन्हें “तबेला” बनाकर रखा गया था।
विधानसभा के प्रश्नकाल में सपा सदस्य समरपाल सिंह और अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठाए।
सपा विधायक समरपाल सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो गई थी, सरकारी चिकित्सक अपने घरों पर मरीजों का इलाज कर उनसे पैसे ऐंठते थे, और अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं।
आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर क्षेत्र से सपा विधायक अखिलेश यादव ने कहा कि मरीजों को सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं मिलती और निजी अस्पतालों में भारी शुल्क लिया जाता है। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या निजी अस्पतालों के शुल्क को एक समान करने के लिए कोई नियम बनाए जाएंगे।
इन सवालों का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा जांच, उपचार और दवाएं मुफ्त प्रदान की जाती हैं। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल और उच्च स्तरीय सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाओं का ब्योरा दिया।
पाठक ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न चिकित्सालयों में जनता को निशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत आयुष्मान कार्ड धारकों को सरकारी और निजी अस्पतालों में निर्धारित पैकेज के अनुसार 5 लाख रुपये तक निशुल्क चिकित्सा दी जाती है। इसके अलावा, 70 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान वय वंदन योजना के तहत चिकित्सकीय लाभ प्रदान किया जाता है।
उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 2017 से पहले निजी चिकित्सकों का परामर्श शुल्क और विभिन्न चिकित्सकीय जांचों के रेट को नियंत्रित करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई थी, जिससे मनमानी वृद्धि की घटनाएं होती थीं।
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