नयी दिल्ली, 21 दिसंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को ‘विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, 2025’ को अपनी मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ ही यह विधेयक अब ‘विकसित भारत–जी राम जी अधिनियम, 2025’ बन गया है। इस संबंध में अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसे देश के ग्रामीण रोजगार और विकास ढांचे में निर्णायक सुधार बताया है। मंत्रालय के अनुसार यह अधिनियम ‘विकसित भारत–2047’ के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद संसद ने वीबी–जी राम जी विधेयक को पारित किया था। इस अधिनियम का उद्देश्य मौजूदा ग्रामीण रोजगार कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को प्रतिस्थापित करना है। नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति वित्त वर्ष 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाएगी।
मंत्रालय के मुताबिक, रोजगार के दिनों में वृद्धि के साथ-साथ यह अधिनियम राज्यों को एक वित्तीय वर्ष में कुल 60 दिनों की विराम अवधि अधिसूचित करने का अधिकार भी देता है, ताकि बुवाई और कटाई के मौसम में कृषि श्रमिकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
इस बीच, कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि मनरेगा जैसे “ऐतिहासिक कानून का अपमान” किया गया है। कांग्रेस का कहना है कि बिना व्यापक परामर्श और संसदीय परंपराओं का पालन किए पिछले दो दशकों की प्रगति को पलट दिया गया।
वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ‘विकसित भारत–जी राम जी’ को लेकर गलत सूचना फैलाई जा रही है। उन्होंने इसे मनरेगा से एक कदम आगे की योजना बताया।
चौहान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि ‘विकसित भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन–ग्रामीण (वीबी–जी राम जी)’ के तहत ग्रामीण रोजगार सुनिश्चित करने के लिए 1,51,282 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “देश को गुमराह करने की साजिश रची जा रही है, जबकि सच्चाई यह है कि वीबी–जी राम जी योजना मनरेगा से आगे बढ़कर ग्रामीण रोजगार और आजीविका को मजबूती देगी।”
