पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र के नए नियम अधिसूचित, सभी गतिविधियां अब एक ही पट्टे पर होंगी

नई दिल्ली, 12 दिसंबर  – सरकार ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है, जिससे देश के तेल और गैस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए आधुनिक नियामकीय ढांचा लागू हो गया है। यह कदम हाल ही में पारित तेलक्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 के तहत उठाया गया है।

नए नियमों के अनुसार, अब कई लाइसेंसों की जरूरत वाली पुरानी प्रणाली को हटाकर एकल पेट्रोलियम पट्टा व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके तहत शेल समेत सभी हाइड्रोकार्बन उत्पादों के अन्वेषण, विकास और उत्पादन को शामिल किया गया है। पट्टे की अवधि अधिकतम 30 वर्ष तक होगी और इसे तेल-क्षेत्र के पूरे आर्थिक जीवनकाल तक बढ़ाया जा सकेगा।

अपराध संबंधी प्रावधानों को हटाकर उल्लंघन पर 25 लाख रुपये का अर्थदंड और बार-बार उल्लंघन पर 10 लाख रुपये रोजाना का जुर्माना लागू किया गया है। इसके अलावा, परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए पट्टाधारकों को बुनियादी ढांचा साझा करने की छूट भी दी गई है।

पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के तहत अतिरिक्त गैस को जलाने पर पूर्ण रोक और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लिए समयबद्ध योजना अनिवार्य कर दी गई है। पेट्रोलियम पट्टों के लिए आवेदनों का निपटारा अब 180 दिनों में किया जाएगा और विवादों का समाधान त्वरित तंत्र या विदेशी निवेशकों के लिए तटस्थ मध्यस्थता स्थल के माध्यम से किया जा सकेगा।

समुद्री क्षेत्र में तेल एवं गैस उत्खनन की सुरक्षा, ऑडिट और मानक निर्धारण के लिए पेट्रोलियम उद्योग सुरक्षा निदेशालय को सक्षम प्राधिकरण घोषित किया गया है।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नए नियमों को ‘ऐतिहासिक’ बताया और कहा, “अब पट्टाधारक एक ही पट्टे के तहत खनिज तेल से जुड़ी सभी गतिविधियां संचालित कर सकते हैं और कार्बन-कटौती एवं समग्र ऊर्जा परियोजनाओं को लागू कर सकते हैं।”

पट्टाधारकों को अपनी ढांचागत क्षमता की वार्षिक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी और नियमों के तहत उन्हें सहमति से संयुक्त रूप से सुविधाएं विकसित या साझा करने की अनुमति दी गई है।

वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा, “यह नियम भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार है। अब दुनिया भारत की विशाल अप्रयुक्त हाइड्रोकार्बन क्षमता को वास्तविक निवेश और उत्पादन में बदलते हुए देख सकती है। इससे घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे सबसे गरीब उपभोक्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा।”

अग्रवाल ने यह भी कहा कि नए नियमों के लागू होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वदेशी उत्पादन में बड़ा बदलाव आएगा और देश कम-से-कम 50 प्रतिशत ऊर्जा की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित कर सकेगा।

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