करूर भगदड़: जांच आयोग को निलंबित करने के आदेश में संशोधन से उच्चतम न्यायालय का इनकार

Supreme Court Seeks Response on NEET-UG 2024 Paper Leak Allegations

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर । तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर को अभिनेता–राजनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कषगम (TVK) की रैली के दौरान हुई भीषण भगदड़ में 41 लोगों की मौत के बाद जांच को लेकर जारी विवाद पर शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रुख अपनाया। अदालत ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने एक सदस्यीय आयोग और एसआईटी को निलंबित करने संबंधी शीर्ष अदालत के पहले के आदेश में संशोधन की मांग की थी। अदालत ने कहा कि वह “हर कदम पर निष्पक्षता और तटस्थता सुनिश्चित करना चाहती है।”

उच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी
न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर रिपोर्ट पर कड़े शब्दों में आपत्ति जताई। पीठ ने कहा, “उच्च न्यायालय में कुछ गड़बड़ चल रही है। वहाँ जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है।” रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि जनसभाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की मांग करने वाली एक रिट याचिका को आपराधिक रिट याचिका के रूप में दर्ज किया गया, जिससे प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं।

सीबीआई जांच और पर्यवेक्षी समिति यथावत
13 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने करूर भगदड़ की जांच सीबीआई को सौंपी थी और मामले की निगरानी के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पर्यवेक्षी समिति गठित की थी। उसी आदेश में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एसआईटी और एक सदस्यीय आयोग को निलंबित कर दिया गया था। अदालत ने कहा था कि यह घटना “राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने वाली” है और निष्पक्ष जांच की हकदार है।

तमिलनाडु सरकार की दलील अस्वीकार
सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने कहा कि राज्य का आयोग सीबीआई जांच में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सिर्फ भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिफारिशें देगा। लेकिन पीठ ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और आदेश में कोई बदलाव करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि वह हर स्तर पर तटस्थता सुनिश्चित करना चाहती है।

रजिस्ट्रार की रिपोर्ट पर कार्रवाई होगी
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट गंभीर है और अदालत इस पर कार्रवाई करेगी। राज्य सरकार के वकीलों ने रिपोर्ट की प्रति मांगी है ताकि वे इस पर जवाब दाखिल कर सकें।

नई याचिका पर नोटिस और अंतिम सुनवाई की तैयारी
शीर्ष अदालत ने करूर भगदड़ के पीड़ित के एक परिजन के आरोपों पर भी ध्यान दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सीबीआई से संपर्क करने पर उन्हें धमकाया गया। अदालत ने इस संबंध में नई याचिका पर नोटिस जारी किया है और मामले को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

करूर भगदड़ से जुड़ा मामला अब उच्चतम न्यायालय की सख्त निगरानी में है और आने वाली सुनवाई में कई अहम कानूनी और प्रक्रियात्मक सवालों पर फैसला होने की संभावना है।

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