करनाल में भाजपा कार्यालय तक सड़क निर्माण: न्यायालय का हरित भूमि की मूल स्थित बहाल करने का निर्देश

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के शहरी विकास निकाय को बुधवार को निर्देश दिया कि वह उस हरित क्षेत्र को उसकी मूल स्थिति में बहाल करे जहां करनाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नवनिर्मित कार्यालय तक सुगम सड़क बनाने के लिए 40 पूर्ण विकसित पेड़ों को उखाड़ दिया गया था।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने 1971 के युद्ध में शामिल रहे सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह की दलीलों से सहमति जताई कि भाजपा कार्यालय तक संपर्क मार्ग के निर्माण के लिए पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया था।
न्यायालय हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी के इस तर्क से संतुष्ट नहीं था कि आवंटन के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां ली गई थीं और सभी पर्यावरण संबंधी मानदंडों का पालन किया गया था।
उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि जितने पेड़ काटे गए हैं उतनी संख्या में पेड़ लगाए जाएंगे।
शीर्ष अदालत ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) और करनाल नगर निगम को एक आवासीय कॉलोनी में हरित भूमि को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
हालांकि, अदालत ने राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी एक आवासीय कॉलोनी में भाजपा की करनाल इकाई को भूमि आवंटन की वैधता के व्यापक प्रश्न पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि इस प्रश्न पर विचार करने में बहुत देर हो चुकी है।
न्यायालय ने 26 नवंबर को सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और उसके शहरी विकास निकाय को कड़ी फटकार लगाई। न्यायालय ने इसे “दयनीय” करार देते हुए, उन्हें जवाबदेह ठहराने की चेतावनी दी।
साल 1971 के युद्ध में शामिल रहे पूर्व सैनिक कर्नल (सेवानिवृत्त) दविंदर सिंह राजपूत द्वारा दायर याचिका में हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा को आवासीय क्षेत्र में मनमाने ढंग से भूखंड आवंटित करने और बाद में हरित क्षेत्र में स्थित 40 पूर्ण विकसित पेड़ों को काटकर उसके कार्यालय तक सड़क का निर्माण करने के खिलाफ उच्च न्यायालय में तीन मई को उनकी याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी।
राजपूत (79) ने बताया कि वह युद्ध में घायल हुए थे और बहादूरी के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से करनाल के अर्बन एस्टेट, सेक्टर 9 में 1,000 वर्ग गज का एक भूखंड खरीदा था।
राजपूत ने कहा कि वह आवासीय कॉलोनी में अपने भूखंड के निकट की भूमि को राज्य में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल को मनमाने ढंग से आवंटित किए जाने से व्यथित हैं जो हरियाणा शहरी विकास अधिनियम, 1977 के प्रावधानों तथा नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग और हुडा की प्रासंगिक नीतियों का पूर्ण उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता अपने घर के सामने 100 मीटर की हरित पट्टी में से 10 मीटर का रास्ता बनाने के लिए हरित पट्टी के 40 पेड़ों की कटाई से भी व्यथित हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि याचिकाकर्ता ने लगभग 36 साल पहले भूखंड के सामने वाली हरित पट्टी के लिए 10 प्रतिशत अधिमान्य-स्थान शुल्क का भुगतान किया था।”

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