देश को फिर अपनानी चाहिए पारंपरिक बैलेट पेपर प्रणाली: मायावती


ईवीएम पर बढ़ती शंकाओं का हवाला, सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग

लखनऊ, 9 दिसंबर : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर लगातार उठ रहे सवालों का हवाला देते हुए देश में पारंपरिक बैलेट पेपर (मतपत्र) प्रणाली को फिर से लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया पर बढ़ते अविश्वास को रोकने और पूरी तरह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी हो गया है।

मायावती ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “ईवीएम से जुड़ी अनियमितताओं की लगातार आ रही शिकायतों को दूर करने और चुनावी प्रक्रिया में जनता का पूर्ण विश्वास बहाल करने के लिए ईवीएम प्रणाली को बंद कर पारंपरिक मतपत्र प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी कारणवश तात्कालिक रूप से बैलेट पेपर पर वापस लौटना संभव न हो, तो कम से कम सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट (VVPAT) पर्चियों की पूर्ण गिनती अनिवार्य की जानी चाहिए और हर पर्ची का मिलान ईवीएम से प्राप्त वोटों से किया जाना चाहिए।

मायावती ने निर्वाचन आयोग के इस तर्क को खारिज किया कि वीवीपैट की पूरी गिनती में बहुत समय लगेगा। उन्होंने कहा, “मतगणना के लिए कुछ अतिरिक्त घंटे लगना चिंता का विषय नहीं होना चाहिए, जबकि पूरी चुनाव प्रक्रिया कई महीनों तक चलती है।”

बसपा प्रमुख ने कहा कि वीवीपैट पर्चियों की 100% गिनती या बैलेट पेपर प्रणाली से मतदान की वापसी न केवल जनता के विश्वास को मजबूत करेगी, बल्कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर पैदा होने वाली शंकाओं और आशंकाओं को भी दूर करेगी, “जो अंततः राष्ट्र के हित में होगा।”

मायावती ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) के विरोध में नहीं है, लेकिन इसकी समयसीमा को बढ़ाना चाहिए।
मायावती ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि संसद में आज से चुनाव सुधार को लेकर चर्चा शुरू हुई है, ऐसे में बसपा का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया में अन्य सुधारों के साथ तीन विशेष सुधार लाना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि एसआईआर को लेकर जो व्यवस्था पूरे देश में लागू है, बसपा उसके विरोध में नहीं है, लेकिन मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया के लिए निर्धारित समय बहुत कम है।
मायावती ने कहा कि कम समय के कारण बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) पर भारी दबाव है और काम के बोझ की वजह से कई बीएलओ अपनी जान भी गंवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि करोड़ों मतदाताओं वाले राज्यों में उन्हें पर्याप्त समय मिलना चाहिए, खासकर उन राज्यों में जहां निकट भविष्य में कोई चुनाव नहीं है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 15.40 करोड़ से अधिक मतदाता हैं ऐसे में अगर वहां एसआईआर का काम जल्दबाजी में पूरा करने का प्रयास किया गया तो अनेक वैध मतदाताओं, विशेषकर गरीब और काम की तलाश में बाहर गए लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट सकते हैं।
मायावती ने कहा कि इससे बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए मतदान के संवैधानिक अधिकार से वंचित करने जैसी स्थिति पैदा होगी, जो पूरी तरह अनुचित है।

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