स्लम पुनर्वास पर केंद्र का बड़ा बयान: ‘झुग्गीवासियों को बसाना राज्यों की जिम्मेदारी’

नई दिल्ली: संसद में सोमवार को स्लम पुनर्वास को लेकर केंद्र सरकार ने अपना पक्ष स्पष्ट किया। सरकार ने साफ कहा कि शहरी क्षेत्रों में झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास की जिम्मेदारी केंद्र की नहीं, बल्कि राज्यों की है। राज्यसभा में यह मुद्दा टीएमसी सांसद सागरिका घोष द्वारा उठाए गए सवाल के बाद गर्म हो गया।

सागरिका घोष ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित जय हिंद प्रवासी कॉलोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां वर्षों से रहने वाले कामगारों को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) की सूची से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने पूछा कि शहरी इलाकों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों और गरीब परिवारों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कोई विशेष आवास योजना क्यों नहीं लाई जा रही है?

इस पर केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि भूमि, कॉलोनाइजेशन और पुनर्वास जैसी सभी जिम्मेदारियां राज्य सरकारों के अधीन आती हैं। केंद्र की भूमिका केवल मार्गदर्शन, नई तकनीक और नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराने तक सीमित है। खट्टर ने बताया कि केंद्र हर वर्ष राज्यों से उनकी आवास संबंधी मांगें और प्रस्ताव मांगता है, लेकिन पुनर्वास की वास्तविक कार्रवाई राज्य सरकारों द्वारा ही की जाती है।

उनके बयान के दौरान टीएमसी सांसदों ने विरोध भी जताया, जिस पर खट्टर ने कहा कि केंद्र अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है, लेकिन राज्यों को भी अपने दायित्वों को गंभीरता से निभाना चाहिए।

संसद में उठे इस मुद्दे के बाद सवाल फिर तेज हो गया है कि महानगरों में रहने वाले लाखों प्रवासी मजदूरों, फुटपाथ निवासियों और स्लम क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों का भविष्य आखिर कौन तय करेगा—केंद्र या राज्य सरकारें?

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