नई दिल्ली, 8 दिसंबर – लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर चर्चा को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा जितनी भी कोशिश कर लें, पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान पर कोई दाग नहीं लग सकता।
गोगोई ने कहा, “भाजपा के राजनीतिक पूर्वजों का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा। कांग्रेस ने सबसे पहले वंदे मातरम् का उद्घोष किया था।”
सांसद ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दो उद्देश्य थे – पहला, यह बताना कि सत्तापक्ष के राजनीतिक पूर्वज अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे, और दूसरा, इस चर्चा को राजनीतिक रूप देना। गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने हर वक्तव्य में बार-बार कांग्रेस और नेहरू का उल्लेख करते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान मोदी ने नेहरू का नाम 14 बार और कांग्रेस का नाम 50 बार लिया।
गोगोई ने ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बताया कि मुस्लिम लीग वंदे मातरम् के पूरे बहिष्कार की बात कर रही थी, लेकिन मौलाना अबुल कलाम आजाद ने इसे स्वीकार किया कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने अपने अधिवेशन में यह तय किया कि हर आयोजन में वंदे मातरम् गाया जाएगा। इसका विरोध मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने किया था।”
उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी न बंगाल को समझ पाई और न ही इस राष्ट्र को।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में दावा किया था कि पंडित नेहरू के अध्यक्ष रहते कांग्रेस मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् के टुकड़े कर बैठी, और कांग्रेस ने वंदे मातरम् के बंटवारे पर झुककर एक दिन देश के विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया। मोदी ने 150 साल पूरे होने पर राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर चर्चा की शुरुआत करते हुए 1975 के आपातकाल का हवाला भी दिया।
