इंडिगो संकट पर पायलटों का खुला पत्र, शीर्ष प्रबंधन पर बदइंतजामी के गंभीर आरोप


सीईओ पीटर एल्बर्स सहित शीर्ष प्रबंधन पर कुप्रबंधन और कर्मचारियों की अनदेखी के आरोप — एयरलाइन ने कहा, “मामले की जांच की जा रही है”

देश की सबसे बड़ी निजी विमानन कंपनी इंडिगो इन दिनों अभूतपूर्व परिचालन संकट से गुजर रही है। उड़ानों में लगातार देरी, बड़े पैमाने पर कैप्टन–फर्स्ट ऑफिसर की अनुपलब्धता और रद्द उड़ानों के बीच सोशल मीडिया पर एक कथित ओपन लेटर वायरल हो रहा है, जो एयरलाइन के पायलटों द्वारा लिखा होने का दावा किया जा रहा है। इस पत्र ने पहले से दबाव में चल रही इंडस्ट्री में नई हलचल पैदा कर दी है।

यह पत्र किसी “अनाम कर्मचारी” द्वारा लिखे जाने का दावा करता है, जो स्वयं को कई वर्षों से इंडिगो के संचालन का हिस्सा बताता है। हालांकि पत्र की प्रामाणिकता की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इसमें लगाए गए आरोपों ने व्यापक बहस छेड़ दी है कि क्या इंडिगो के भीतर लंबे समय से कोई गहरा संकट पनप रहा था।

क्या कहा गया है इस कथित खुले पत्र में?

पत्र के अनुसार, इंडिगो की समस्याएँ अचानक नहीं पैदा हुईं बल्कि यह स्थिति वर्षों की “बदइंतजामी और कर्मचारियों की उपेक्षा” का परिणाम है। पत्र में लिखा है कि 2006 में स्थापित कंपनी ने शुरुआती वर्षों में तेज ग्रोथ हासिल की, लेकिन समय के साथ यह ग्रोथ “लालच और प्रबंधन अहंकार” में बदल गई।

कथित पत्र में दावा है कि कई महत्वपूर्ण पद ऐसे अधिकारियों को सौंपे गए जिनके पास न संचालन का अनुभव था और न ही विशिष्ट विशेषज्ञता। इसके चलते प्रबंधन निर्णय लेने की प्रक्रिया कमजोर होती गई और कर्मचारियों में असंतोष बढ़ने लगा।

थकान, ओवरवर्किंग और सुरक्षा नियमों की अनदेखी के आरोप

पत्र में कहा गया है कि पायलटों और कर्मचारियों की थकान, ड्यूटी टाइम लिमिटेशन और सुरक्षा प्रोटोकॉल को बार-बार नजरअंदाज किया गया। विरोध करने वाले पायलटों को दफ्तर में बुलाकर डांटा गया और कई बार अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया।

एक आरोप यह भी है कि बिना किसी अतिरिक्त वेतन के नाइट ड्यूटी, शिफ्ट और काम का बोझ बढ़ा दिया गया। पत्र दावा करता है कि प्रबंधन का रवैया धीरे-धीरे एक “टॉक्सिक वर्ककल्चर” में बदल गया, जिसमें टैलेंट की जगह “पदों की चमक” और चापलूसी को महत्व मिलने लगा।

किसे बताया गया जिम्मेदार?

कथित पत्र में जिन आठ अधिकारियों को परिचालन संकट का मुख्य कारण बताया गया है, उनमें सबसे अग्रणी नाम इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स का है। पत्र का दावा है कि संकट के चरम समय में वे अपने मूल देश नीदरलैंड में छुट्टी पर थे।

अन्य जिन अधिकारियों के नाम पत्र में शामिल किए गए हैं, उनमें जेसन हर्टर, अदिति कुमारी, तपस डे, राहुल पाटिल, इसिडोर पोरक्वेरास (COO), असीम मित्रा (SVP फ्लाइट ऑपरेशंस) और अक्षय मोहन शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि इन अधिकारियों के निर्णय और कथित कुप्रबंधन ने स्थिति को पटरी से उतार दिया।

इंडिगो की प्रतिक्रिया क्या है?

एयरलाइन की ओर से इस पत्र पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन कंपनी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन इन आरोपों की समीक्षा कर रहा है और आंतरिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने पर काम जारी है। सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि सोशल मीडिया पर चल रहे कई दावे “अधूरी जानकारी और अनुमानों” पर आधारित हो सकते हैं।

संकट कब तक सुलझेगा?

विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि इंडिगो का यह परिचालन संकट संभवतः क्रू की अनुपलब्धता, शेड्यूलिंग त्रुटियों और अत्यधिक बोझ के संयुक्त प्रभाव से पैदा हुआ है। पायलट समुदाय का मानना है कि जब तक प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच संवाद बहाल नहीं होता, स्थिति सुधरने में समय लग सकता है।

फिलहाल, इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन होने के कारण, इसका संकट न सिर्फ कंपनी बल्कि पूरे उड्डयन क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

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