नई दिल्ली, 4 दिसंबर। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में स्पष्ट कहा कि वीजा जारी करना किसी भी देश का संप्रभु अधिकार है और अमेरिका अपने राष्ट्रीय सुरक्षा आकलन के आधार पर वीजा देने या न देने का पूरा अधिकार रखता है। यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिका द्वारा वीजा ‘स्क्रीनिंग’ प्रक्रिया को और कठोर किए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है, खासकर सोशल मीडिया जांच की नई अनिवार्यता के बाद।
पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए जयशंकर ने बताया कि अमेरिकी सरकार ने हाल ही में यह घोषित किया है कि अब प्रत्येक वीजा निर्णय को वह पूर्णतः “राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय” के रूप में देखेगी। इसके तहत वे किसी भी आवेदक से जुड़े सुरक्षा जोखिमों का मूल्यांकन कर वीजा पर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा, “अमेरिका का स्पष्ट रुख है कि हर वीजा निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। वे यह आकलन करने का अधिकार रखते हैं कि किसी व्यक्ति की राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित स्थिति क्या है और उसी आधार पर वीजा तय करेंगे।”
विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि अमेरिकी सरकार अब छात्र वीजा और अन्य श्रेणियों के वीजा आवेदकों से अपने सोशल मीडिया खातों की गोपनीयता सेटिंग को ‘पब्लिक’ करने का निर्देश दे रही है, जिससे आवेदकों की ऑनलाइन गतिविधियों की पूरी समीक्षा की जा सके। उन्होंने कहा, “यह उनका सार्वजनिक रुख है कि वे सोशल मीडिया पोस्ट की विस्तृत जांच करेंगे।”
जयशंकर ने जानकारी दी कि अमेरिका में छात्र वीजा रद्द होने या निरस्त किए जाने की समस्या अप्रैल 2025 से शुरू हुई, जब वहां के विदेश मंत्री ने नई नीति की घोषणा की थी। इसके तहत “मामूली उल्लंघन” माने जाने वाले मामलों में भी छात्रों के वीजा रद्द कर दिए गए और कई छात्रों पर स्वयं-निर्वासन का दबाव बनाया गया।
इस संबंध में भारत द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए जयशंकर ने कहा कि जिन भी मामलों की जानकारी भारत सरकार को मिली, या जहां छात्रों ने सीधे भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावासों से संपर्क किया, वहां भारतीय मिशन ने हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कहा, “हमने अमेरिकी अधिकारियों को समझाने की कोशिश की है कि मामूली उल्लंघनों पर इतने कठोर कदम उठाना उचित नहीं है।”
अमेरिका ने हाल ही में एच-1बी वीजा आवेदकों और उनके एच-4 आश्रितों के लिए भी स्क्रीनिंग प्रक्रिया को और कड़ा कर दिया है। नई नीति के अनुसार, सभी आवेदकों को अपने सोशल मीडिया खातों की गोपनीयता सेटिंग ‘सार्वजनिक’ करनी होगी ताकि उनकी ऑनलाइन उपस्थिति की विस्तृत समीक्षा की जा सके।
बुधवार को जारी आदेश में कहा गया है कि 15 दिसंबर से एच-1बी श्रेणी के आवेदकों और उनके परिजनों की ऑनलाइन गतिविधियों की समीक्षा अनिवार्य रूप से की जाएगी। यह कदम पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा आव्रजन नियमों को कड़ा करने के चल रहे प्रयासों की नवीनतम कड़ी माना जा रहा है।
इस पूरी प्रक्रिया और इसके संभावित प्रभावों पर राज्यसभा में उठे प्रश्नों का उत्तर देते हुए जयशंकर ने दोहराया कि भारत अपनी ओर से हर प्रभावित नागरिक के हितों और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेगा तथा अमेरिका के समक्ष अपनी चिंताएं उठाता रहेगा।
