लखनऊ में खिताब की रक्षा से बढ़ा आत्मविश्वास, गायत्री–त्रीसा की शीर्ष 10 में वापसी की उम्मीद मजबूत

नई दिल्ली, 4 दिसंबर। सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में खिताब की सफलतापूर्वक रक्षा कर भारतीय महिला युगल की युवा जोड़ी गायत्री गोपीचंद और त्रीसा जॉली ने न सिर्फ एक और बड़ा खिताब अपने नाम किया बल्कि लंबे समय से तलाश रही लय भी दोबारा हासिल कर ली है। यह जीत इस जोड़ी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चोटों और लगातार समस्याओं के कारण वे कई महीनों से कोर्ट से दूर थीं। अब एक बार फिर शीर्ष 10 में वापसी की उनकी उम्मीदें मजबूत हो गई हैं।

गायत्री और त्रीसा ने 2025 की शुरुआत शानदार अंदाज में की थी। वे ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचीं और इसके बाद स्विस ओपन के सेमीफाइनल में भी उन्होंने उम्दा प्रदर्शन किया। लेकिन जून आते–आते कंधे की समस्या बढ़ने लगी और मकाऊ ओपन के बाद दोनों को सर्किट से ब्रेक लेना पड़ा। लगभग दो महीने के अंतराल के बाद उन्होंने लखनऊ में अपने दूसरे ही टूर्नामेंट में खिताब जीतकर दमदार वापसी की।

पीटीआई से बातचीत में गायत्री ने कहा, “सैयद मोदी खिताब जीतना मेरे लिए धैर्य और प्रक्रिया पर भरोसे का इनाम जैसा है। मैंने अभी फिर से खेलना शुरू किया है और इस जीत से आत्मविश्वास आया है कि मेरा खेल सही दिशा में जा रहा है।”

गायत्री ने स्वीकार किया कि चोट से उबरने की यात्रा मानसिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण थी। उन्होंने बताया, “मकाऊ से पहले भी दर्द था और बाद में भी। दो महीने का ब्रेक मुश्किल था। आप रिहैब करते हैं, मानसिक रूप से मजबूत रहने की कोशिश करते हैं, कोच–फिजियो–परिवार का सहारा लेते हैं। अगर मानसिक रूप से मजबूत रहें तो चीजें आसान होती जाती हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता और राष्ट्रीय मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद उनकी रिकवरी में बहुत मदद करते हैं। “पापा अपनी चोटों के अनुभव बताते हैं और समझाते हैं कि किस चीज़ पर ध्यान देना है,” गायत्री ने कहा।

इस वर्ष की शुरुआत में भारतीय जोड़ी 13 हफ्तों तक विश्व रैंकिंग में 9वें स्थान पर थी। 2026 में फिर से शीर्ष 10 में वापसी उनका प्राथमिक लक्ष्य है। गायत्री ने बताया, “हमारा बड़ा लक्ष्य विश्व की शीर्ष युगल जोड़ियों में आना, अधिक खिताब जीतना, विश्व चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करना और ओलंपिक क्वालीफिकेशन की दिशा में बढ़ना है। निरंतरता में सुधार सबसे बड़ी जरूरत है।”

वहीं, गायत्री की चोट के दौरान त्रीसा ने प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए मिश्रित युगल में कदम रखा। उन्होंने हरिहरन अम्साकारुणन के साथ तुर्किये अंतरराष्ट्रीय चैलेंज खिताब जीता। त्रीसा ने कहा, “जब गायत्री चोटिल थीं, तब मैं खेल की लय नहीं खोना चाहती थी। इसलिए मिश्रित युगल खेलना शुरू किया और सच कहूं तो इसमें मुझे मजा भी आ रहा है।”

हालांकि त्रीसा मानती हैं कि बड़े टूर्नामेंट शुरू होने के साथ शेड्यूल चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, “अभी हमारे पास 1000 और 750 स्तर के टूर्नामेंट में प्रवेश के लिए पर्याप्त रैंकिंग नहीं है। इसलिए थोड़ा भ्रम है कि मिश्रित युगल और महिला युगल दोनों को कैसे संतुलित किया जाए।”

लखनऊ की जीत के बाद यह भारतीय जोड़ी अब 2026 में मजबूत प्रदर्शन और वैश्विक रैंकिंग में वापसी के इरादे से आगे बढ़ रही है।

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