मुख्य सूचना आयुक्त चयन के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक 10 दिसंबर को होगी: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

नयी दिल्ली, एक दिसंबर : केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति 10 दिसंबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों के पदों के लिए नामों का चयन और सिफारिश करने के लिए बैठक कर सकती है। भारत के प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ सीआईसी और राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) के रिक्त पदों को भरे जाने के अनुरोध वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पीठ को केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने बताया कि बैठक तय हो गई है और इसके लिए समिति के सदस्यों को सूचना भेज दी गई है। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 12 (3) के तहत प्रधानमंत्री उस समिति के अध्यक्ष होते हैं जो मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नामों का चयन और सिफारिश करती है।

समिति में नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री भी सदस्य होते हैं। शीर्ष अदालत ने एएसजी की दलीलें दर्ज कीं और याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। इसने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से राज्य सूचना आयुक्तों की कुल संख्या, उनमें रिक्त पदों तथा आयोगों के समक्ष लंबित अपीलों और शिकायतों की संख्या का विवरण प्रस्तुत करने को कहा। अंजलि भारद्वाज और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने रिक्त पदों को नहीं भरा है, जिसके परिणामस्वरूप आयोगों के समक्ष मामलों का ढेर लग रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने दो-तीन नियुक्तियां की हैं और कह रहे हैं कि उन्हें सभी पदों को भरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनके पास लंबित मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त सदस्य हैं।

भूषण ने कहा कि न्यायालय के कम से कम सात व्यापक आदेश हैं जिनमें उसने केंद्र को सीआईसी और एसआईसी में रिक्तियों को शीघ्रता से भरने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने 27 नवंबर को मामले को तब स्थगित कर दिया था जब नटराज ने उसे सूचित किया कि चयन समिति की बैठक 28 अक्टूबर, 2025 को होनी थी, लेकिन सदस्यों की अन्य व्यस्तताओं के कारण बैठक नहीं हो सकी। शीर्ष अदालत ने नटराज को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) सचिव से बात करके कुल रिक्तियों की जानकारी देने को कहा था।

अदालत ने कहा था, ”हमें इस बात पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि सक्षम प्राधिकारी उपलब्ध रिक्तियों को भरने के लिए आवश्यक पहल करेगा।’’ इसने यह भी कहा था कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों ने मोटे तौर पर सभी रिक्तियां भर दी गई हैं और उनके सूचना आयोग पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में रिक्तियां छह सप्ताह में भर दी जाएंगी।

शीर्ष अदालत ने 27 अक्टूबर को मुख्य सूचना आयुक्त और केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों के नामों का सार्वजनिक तौर पर खुलासा करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। इसने झारखंड और हिमाचल प्रदेश सहित सभी राज्यों को राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों को तुरंत भरने का प्रयास करने का निर्देश दिया था। भूषण ने आरोप लगाया था कि सरकारें सूचना आयोगों को निष्क्रिय बनाकर ‘सूचना के अधिकार अधिनियम को खत्म करने की कोशिश’ कर रही हैं। उन्होंने दलील दी थी कि केंद्रीय सूचना आयोग वर्तमान में अपने प्रमुख के बिना है और सूचना आयुक्तों के 10 में से आठ पद रिक्त हैं।

उन्होंने कहा था, ”सीआईसी में लंबित मामलों की संख्या लगभग 30,000 है।’’ उन्होंने शीर्ष अदालत के पूर्व आदेशों के उल्लंघन की ओर भी इशारा किया जिसमें निर्देश दिया गया था कि सभी रिक्त पदों को सीधे भरा जाए। शीर्ष अदालत ने सात जनवरी को सीआईसी और राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों पर असंतोष व्यक्त करते हुए केंद्र को इन पदों को तुरंत भरने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने 26 नवंबर, 2024 को इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया और केंद्र तथा राज्यों से पदों को भरने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराने को कहा। फरवरी 2019 से उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्यों द्वारा पारदर्शिता निगरानी संस्था में समय पर नियुक्तियों की आवश्यकता पर कई निर्देश जारी किए हैं। न्यायालय ने पाया कि झारखंड, त्रिपुरा और तेलंगाना में राज्य सूचना आयोग लगभग निष्क्रिय हो चुके हैं, क्योंकि वहां कोई सूचना आयुक्त नहीं हैं।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *