नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है, लेकिन विपक्ष ने पहले ही सत्र में हंगामा शुरू होने का संकेत दे दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने रविवार को चेतावनी दी कि यदि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा नहीं हुई तो वह संसद को सुचारु रूप से चलने नहीं देगी।
सर्वदलीय बैठक के बाद सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार एसआईआर पर चर्चा करने से पीछे नहीं हट सकती, क्योंकि यह प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा, “समाजवादी पार्टी ने एसआईआर का मुद्दा इसलिए उठाया है क्योंकि बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां देखने को मिली हैं। पहले हम सुनते थे, लेकिन अब हमें पता चल रहा है कि लोगों के वोट काटे जा रहे हैं। बिहार में गड़बड़ियां हुई हैं। हम इसे संसद में उठाना चाहते हैं।”
रामगोपाल यादव ने आगे कहा कि यह मुद्दा सिर्फ उनके क्षेत्र या पार्टी तक सीमित नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इटावा जिले में सभी को कैटेगरी सी में रखा गया है, जिसमें जिले के सभी सांसद और विधायक शामिल हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री जैसे उच्च पदाधिकारी का नाम भी प्रभावित हो सकता है, तो चर्चा क्यों नहीं हो सकती।
सपा का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र की मजबूती और नागरिकों के वोट के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। यादव ने कहा, “ईसी सरकार ने बनाया है और बनाने वाला, बनाए गए से बड़ा होता है। जब गलत काम हो रहा हो, तो चर्चा क्यों नहीं हो सकती।”
सरकार ने इस सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी, जबकि सामान्यतः सत्र में लगभग 20 बैठकें होती हैं। सरकार इस सत्र में कई नए विधेयक पेश करने की योजना बना रही है।
विपक्ष इसे संक्षिप्त सत्र बता रहा है और पहले ही अपने विरोध के संकेत दे चुके हैं। एसआईआर पर सपा का जोर और संसद में इसकी चर्चा न होने की चेतावनी से शीतकालीन सत्र में राजनीतिक बहस और हंगामा बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
