विकसित उत्तर प्रदेश 2047 विजन’’ के तहत पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य क्षेत्र परामर्श आयोजित


2047 तक यूपी को प्रमुख लाइवस्टॉक हब बनाने का लक्ष्य, विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव

लखनऊ, 27 नवम्बर 2025। उत्तर प्रदेश को वर्ष 2047 तक एक प्रमुख लाइवस्टॉक हब के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य के साथ आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में “विकसित उत्तर प्रदेश 2047 विजन” स्टेकहोल्डर्स परामर्श के अंतर्गत पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य क्षेत्र परामर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों तथा नीति-निर्माताओं ने प्रतिभाग कर क्षेत्रीय विकास, निवेश संभावनाओं और नवाचारों पर व्यापक चर्चा की।

पशुपालन, डेयरी और प्राकृतिक खेती पर जोर
उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने पशुधन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की महत्ता बताते हुए गोबर से बायोगैस एवं स्लरी के उपयोग, गोबर–गोमूत्र आधारित सहकारी समितियों की स्थापना, मल्टी-लेयर फार्मिंग और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

लाइवस्टॉक हब बनने की दिशा में तेजी से कार्य
प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि राज्य सरकार विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के विजन के अनुरूप ग्रामीण आय बढ़ाने, रोजगार सृजन करने और कृषि जीएसवीए में तेजी लाने के लिए बहु-स्तरीय योजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने वैल्यूचेन सुदृढ़ीकरण, मार्केटिंग सुधार, उच्च उत्पादकता वाली स्थानीय नस्लों के संवर्धन, 100% एआई कवरेज, साइलिज यूनिट, फीड क्वालिटी रेगुलेशन, फोडर हब, एफएमडी–पीपीआर टीकाकरण तथा पीपीपी आधारित डेयरी क्लस्टर के विकास को अत्यंत आवश्यक बताया।

आईसीएआर की तकनीकी विशेषज्ञता का अधिकतम उपयोग आवश्यक
मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू ने वर्किंग प्लान को ठोस रणनीति और एक्शन रोडमैप में बदलने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आईसीएआर की तकनीकी विशेषज्ञता का अधिकतम उपयोग कर राज्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित पशुपालन और मत्स्य विकास को गति दी जा सकती है।

मत्स्य एवं डेयरी क्षेत्र में बड़े सुधारों की संभावनाएँ
दुग्ध आयुक्त एवं महानिदेशक (मत्स्य) डॉ. धनलक्ष्मी के. ने मत्स्य क्षेत्र में बेहतर हैचरी, बायो–सिक्योर तालाब, आरएएस सिस्टम, पीपीपी आधारित एक्वाकल्चर जोन, खारे क्षेत्रों की मैपिंग, प्रॉन कल्चर के विस्तार, तथा डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की प्रमुख भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने 2047 तक दुग्ध उत्पादन और प्रोसेसिंग में बड़े सुधार तथा स्पेशल काऊ मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में श्री मासूम अली सरवर, सचिव (नियोजन), श्री देवेंद्र पांडे, विशेष सचिव (पशुपालन), डॉ. अभिजीत मित्रा, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा सहित विभिन्न विभागों के निदेशक एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने विभागीय कार्यक्रमों की वर्तमान प्रगति और भविष्य की प्राथमिकताओं पर अपने विचार साझा किए।

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