नयी दिल्ली, 26 नवंबर। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए ‘अनुसूचित जाति छात्रों के लिए उच्च स्तरीय छात्रवृत्ति योजना’ के नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। नई दिशा-निर्देशों में वित्तीय सहायता बढ़ाई गई है और शैक्षणिक संस्थानों की जवाबदेही को और सख्त किया गया है।
इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है। इसके तहत लाभार्थियों को भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में पूरी ट्यूशन फीस और शैक्षणिक भत्ते प्रदान किए जाएंगे।
संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, निजी संस्थानों के छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से प्रति वर्ष दो लाख रुपये तक की ट्यूशन फीस और अप्रतिदेय शुल्क प्रदान की जाएगी। इसके अलावा छात्रों को पहले वर्ष में 86,000 रुपये और अगले वर्षों में 41,000 रुपये का शैक्षणिक भत्ता मिलेगा, जो आवास, किताबें और लैपटॉप जैसे खर्चों को कवर करेगा।
यह छात्रवृत्ति उन अनुसूचित जाति छात्रों के लिए उपलब्ध होगी जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय आठ लाख रुपये तक है और जिन्हें अधिसूचित संस्थानों में प्रवेश मिला हो। पात्र संस्थानों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (NIFT), राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (NID) और अन्य मान्यता प्राप्त महाविद्यालय शामिल हैं।
केवल प्रथम वर्ष के छात्र नई छात्रवृत्ति के लिए पात्र होंगे, और इसका नवीनीकरण उनके पाठ्यक्रम की पूर्णता और प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा। इस योजना के तहत 2024-25 में कुल 4,400 नई छात्रवृत्तियां आवंटित की जाएंगी, जबकि योजना की कुल सीमा 2021-22 से 2025-26 तक 21,500 आवंटन है।
मंत्रालय ने संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों के जाति और आय प्रमाणपत्रों का सत्यापन करें, इस योजना का प्रचार अपनी विवरणिका (प्रॉस्पेक्टस) में करें और छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन की निगरानी करें। दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों को योजना से बाहर किया जा सकता है।
योजना के तहत एक ही परिवार के दो से अधिक भाई-बहनों को लाभ नहीं मिलेगा, और यदि चयनित छात्र कोई संस्थान बदलता है, तो उसकी पात्रता समाप्त हो जाएगी।
