लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि भारत की संस्कृति में हर कार्यक्षेत्र को ‘धर्मक्षेत्र’ माना गया है और युद्ध का मैदान भी इससे अलग नहीं है। जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ को आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां धर्म और कर्तव्य होगा, वहीं विजय का मार्ग प्रशस्त होगा।
योगी ने कहा, “पूरे भारत को हमने धर्मक्षेत्र माना है, इसलिए युद्ध का मैदान भी हमारे लिए धर्मक्षेत्र ही है। धर्मक्षेत्र में लड़ा जाने वाला युद्ध कर्तव्य और सत्य की रक्षा के लिए होता है और ऐसे युद्ध का परिणाम हमेशा धर्म की विजय के रूप में ही सामने आता है।” उन्होंने कहा कि अधर्म के मार्ग पर चलकर विजय की उम्मीद करना भ्रम है, क्योंकि सनातन परंपरा और प्रकृति का अटूट नियम है कि सदा धर्म की ही जीत होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की विशेषता यह रही है कि यहां प्रत्येक कर्तव्य को पवित्र माना गया है। “दुनिया में शायद ही कहीं युद्ध के मैदान को धर्मक्षेत्र कहा जाता हो, लेकिन हमारे यहां कर्तव्य पालन को पवित्रता दी गई है।” योगी ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि अच्छा कार्य करने पर पुण्य और बुराई करने पर पाप मिलता है, इसलिए हर धर्मावलंबी को सही मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत ने प्राचीन काल से विश्व मानवता को मार्ग दिखाया है। “हमने कभी श्रेष्ठता का दावा नहीं किया, लेकिन ‘जियो और जीने दो’ तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना दुनिया को हमारी ही धरती से मिली।” उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा सदैव शरण देने और पीड़ितों के साथ खड़े रहने की रही है।

मुख्य वक्ता स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि यह आयोजन किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं, बल्कि प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि आज विश्व में अलग-अलग रूपों में महाभारत जैसे हालात दिखाई दे रहे हैं, जिनका समाधान गीता के उपदेश में मिलता है। “जियो गीता, गीता के साथ जीने की प्रेरणा है,” उन्होंने कहा।

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक व सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी मणि प्रसाद मिश्र ने बताया कि उद्देश्य है कि गीता पूरे प्रदेश में जीवन का आधार बने। उन्होंने कहा कि 1 दिसंबर को गीता जयंती पर पूरे प्रदेश में सुबह 11 बजे एक साथ गीता पाठ किया जाएगा। वर्ष 2026 की गीता जयंती पर भी इसी तरह सामूहिक पाठ का आयोजन होगा।
समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आगमन पर मुख्यमंत्री, स्वामी ज्ञानानंद और कई संतों ने उनका स्वागत किया। पूरे कार्यक्रम में गीता और सनातन दर्शन के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया गया।
