पटना, 21 नवंबर। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सात जिलों में 13 जनसभाओं के माध्यम से 51 उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे, लेकिन पार्टी सिर्फ चार सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की सभाओं के बावजूद पार्टी की जीत केवल दो सीटों तक सिमट गई। इस प्रकार कांग्रेस का कुल प्रदर्शन छह सीटों तक सीमित रहा।
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान राज्य के सात जिलों में 13 सभाओं में 51 विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रचार किया। इसके बावजूद उनकी सभाओं का जीत का स्ट्राइक रेट केवल आठ प्रतिशत रहा। राहुल गांधी ने चुनाव से पहले ‘वोटर अधिकार यात्रा’ भी निकाली, जिसमें उन्होंने 18 जिलों का दौरा किया। इस दौरान दो सभाओं में उनके साथ राजद नेता तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे। मल्लाह समुदाय को साधने के प्रयास में राहुल गांधी ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के साथ तालाब में भी उतरे थे।
पहले चरण में राहुल गांधी ने 29 अक्टूबर को सकरा, मुजफ्फरपुर और राजा पाकड़ में संयुक्त सभाएं कीं। 30 अक्टूबर को नालंदा के हरनौत, पटना के बाढ़ और लखीसराय में प्रचार किया। 2 नवंबर को बेगूसराय और खगड़िया में कार्यक्रम हुए। 4 नवंबर को औरंगाबाद, कुटुंबा और वजीरगंज, 6 नवंबर को कसबा, बनमनखी, अमौर, अररिया, मनिहारी और फारबिसगंज में रैलियां आयोजित की गईं। 7 नवंबर को अमरपुर, सुलतानगंज, भागलपुर और कहलगांव, 9 नवंबर को बहादुरगंज, किशनगंज और कसबा में जनसभाएं हुईं।
राहुल गांधी की सभाओं के बावजूद केवल फारबिसगंज, अररिया, किशनगंज और मनिहारी सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। इसी तरह, प्रियंका गांधी ने पहले चरण में बछवाड़ा और बेलदौर में सभाएं की। 3 नवंबर को सोनबरसा, रोसड़ा और लखीसराय में प्रचार किया, 5 नवंबर को वाल्मीकि नगर और चनपटिया में रैलियां आयोजित की गईं। 6 नवंबर को रीगा, गोविंदगंज और बेनीपट्टी, अंतिम चरण में कदवा, बरारी और पूर्णिया में चुनावी कार्यक्रम हुए।
प्रियंका गांधी की सभाओं के बावजूद कांग्रेस को केवल वाल्मीकि नगर और चनपटिया में ही सफलता मिली। पार्टी, जिसने 2020 के चुनाव में 19 सीटें जीती थीं, इस बार महज छह सीटों तक सिमट गई।
प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए। केवल दो वर्तमान विधायक, अररिया से आबिदुर रहमान और मनिहारी से मनोहर प्रसाद सिंह, अपनी सीट बचाने में सफल रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस की इस हार का मुख्य कारण महागठबंधन में असंतुलन और जनता के बीच पार्टी की घटती लोकप्रियता को माना जा रहा है। राहुल और प्रियंका गांधी के व्यापक प्रचार के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन बिहार में नाकाफी साबित हुआ।
