बिहार की राजनीति एक बार फिर इतिहास गढ़ने जा रही है। एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बाद नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। पटना में शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और शहर में जगह-जगह पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राष्ट्रीय हस्तियों के शामिल होने की संभावना है। नीतीश कुमार अब तक 19 वर्षों तक बिहार की सत्ता के शीर्ष पर रह चुके हैं और प्रदेश के सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले मुख्यमंत्री हैं।
देश के स्तर पर भी नीतीश कुमार का नाम उन नेताओं में शामिल हो गया है, जिन्होंने सबसे अधिक वर्षों तक किसी राज्य की कमान संभाली है। हालांकि उनसे भी अधिक समय तक सत्ता में रहने वाले कई मुख्यमंत्री देश में रहे हैं। सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के नाम है, जिन्होंने 1994 से 2019 तक लगभग 24 वर्षों तक राज्य की बागडोर संभाली। इसके बाद ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का नाम आता है, जिनका कार्यकाल 24 वर्ष 99 दिनों का रहा। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु लगभग 23 वर्षों तक पद पर रहे, जबकि अरुणाचल प्रदेश के गेगोंग अपांग और मिजोरम के लाल थनहवला ने भी दो दशकों के आसपास का कार्यकाल पूरा किया। इन नेताओं के बाद नीतीश कुमार इस सूची में प्रमुख रूप से शामिल हैं और यदि 2030 तक पद पर बने रहते हैं, तो वे शीर्ष तीन में शामिल हो जाएंगे।
बिहार में नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर और भी दिलचस्प है। वह अब तक नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, और दसवीं बार शपथ लेकर एक और रिकॉर्ड बनाने वाले हैं। राज्य में ऐसे कुल सात मुख्यमंत्री हुए हैं जिन्होंने एक से अधिक बार पदभार संभाला है। इनमें बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह, भोला पासवान शास्त्री, कर्पूरी ठाकुर, जगन्नाथ मिश्र, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और स्वयं नीतीश कुमार शामिल हैं। इन सभी में नीतीश सर्वाधिक बार पद पर पहुँचे हैं।
सत्ता में दीर्घकाल तक बने रहने की बात करें तो बिहार के इतिहास में केवल दो ही नेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने 10 वर्षों से अधिक समय तक मुख्यमंत्री पद संभाला हो—नीतीश कुमार और श्रीकृष्ण सिंह। आजादी के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने श्रीकृष्ण सिंह ने 1952 से 1961 तक नौ वर्षों तक पद पर रहते हुए प्रशासनिक सुधारों और औद्योगिक विकास की नींव रखी। वहीं दूसरी ओर, नीतीश कुमार ने 2005 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार वर्षों तक शासन किया। उनके कार्यकाल में राजनीतिक गठबंधन कई बार बदले—2014, 2017, 2022 और फिर 2024 में उन्होंने महागठबंधन और एनडीए के बीच गठबंधन बदले, लेकिन सत्ता में उनकी पकड़ बरकरार रही।
बिहार की राजनीति में महिला नेतृत्व की बात करें तो राबड़ी देवी का नाम विशेष रूप से दर्ज है। वह बिहार की पहली और एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बनीं और कुल तीन बार इस पद की शपथ ली। उनका कार्यकाल मिलाकर लगभग सात वर्षों का रहा, जो उन्हें राज्य के सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले शीर्ष चार मुख्यमंत्रियों में स्थान देता है।
लालू प्रसाद यादव भी बिहार के प्रभावशाली मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने पांच वर्ष से अधिक समय तक सत्ता संभाली। हालांकि उनका दूसरा कार्यकाल चारा घोटाले के खुलासे के चलते अधूरा रह गया।
आज जब नीतीश कुमार अपने 10वें शपथ ग्रहण की ओर बढ़ रहे हैं, तब बिहार की राजनीति एक बार फिर परिवर्तन और स्थिरता के दिलचस्प संगम पर खड़ी है। राज्य में उनका व्यापक अनुभव, बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच उनकी पकड़ और शासन शैली ने उन्हें बिहार की राजनीति का सबसे स्थायी चेहरा बना दिया है। आगामी दिनों में वे किस दिशा में बिहार को आगे बढ़ाएंगे, इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी रहेंगी।
