देश के 5.67 लाख गांव ‘ओडीएफ प्लस’, 2022 से अब तक 467% की बढ़ोतरी

नयी दिल्ली, 19 नवंबर। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण स्वच्छता में हो रही प्रगति का नया रिकॉर्ड सामने आया है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश के 5.67 लाख गांव अब ‘ओडीएफ प्लस’ घोषित किए जा चुके हैं। यह संख्या 2022 के मुकाबले लगभग 467 प्रतिशत अधिक है, जब केवल एक लाख गांव ही इस श्रेणी में थे।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में करीब 4.86 लाख गांव ‘ओडीएफ प्लस आदर्श’ चरण में पहुंच चुके हैं। ‘ओडीएफ प्लस आदर्श’ का मतलब है कि गांव न सिर्फ खुले में शौच से मुक्त स्थिति बनाए हुए हैं, बल्कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को लागू कर स्वच्छ वातावरण और दृश्य स्वच्छता भी सुनिश्चित कर रहे हैं।

जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि राष्ट्रव्यापी जनभागीदारी और निरंतर सरकारी समर्थन का परिणाम है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में करीब 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण में राज्यों को सहायता दी है। पाटिल ने कहा, “इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की थी और केंद्र ने देशभर में 12 करोड़ शौचालय बनाकर इसमें सहयोग किया। इसके परिणामस्वरूप लोगों में बड़े स्तर पर व्यवहारगत बदलाव आया है।”

मंत्री ने कहा कि बेहतर स्वच्छता का सीधा प्रभाव सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ा है। उन्होंने दावा किया, “स्वच्छता ने लगभग 3 लाख बच्चों की जान बचाई है।” पाटिल ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार स्वच्छता अवसंरचना के रखरखाव के लिए आगे भी वित्तीय सहायता जारी रखेगी।

आंकड़ों के अनुसार अब देश के 95 प्रतिशत से अधिक गांव ‘ओडीएफ प्लस’ घोषित किए जा चुके हैं। दिसंबर 2022 में जहां ओडीएफ प्लस गांवों की संख्या एक लाख के आसपास थी, वहीं यह अब बढ़कर 5.67 लाख हो गई है। केवल ‘ओडीएफ प्लस आदर्श’ गांवों की संख्या भी बढ़कर 4,85,818 पर पहुंच गई है।

स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2014 में हुई थी, जिसका उद्देश्य केवल खुले में शौच को समाप्त करना ही नहीं बल्कि देशभर में ठोस-तरल अपशिष्ट प्रबंधन, जल स्रोतों की सुरक्षा और दीर्घकालिक स्वच्छता प्रणाली स्थापित करना था।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में भी स्वच्छता के लक्ष्य पार कर लिए गए हैं। देश में 63.7 लाख से अधिक घरेलू शौचालय बनाए जा चुके हैं, जो तय लक्ष्य का 108 प्रतिशत है। वहीं सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण ने भी 125 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है।

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