बिहार विधानसभा चुनाव का नया इतिहास: पहली बार नहीं हुई कोई मौत, न ही किसी बूथ पर पुनर्मतदान

नयी दिल्ली, 14 नवंबर। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने राज्य के चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया है। यह पहली बार है जब मतदान के दौरान किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई और किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी। यह रिकॉर्ड ऐसे राज्य में बना है, जहां वर्षों तक चुनावी हिंसा, बूथ कब्जा और माओवादियों के हमले आम बात हुआ करते थे।

चुनावी इतिहास में पहली बार शांतिपूर्ण मतदान

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अतीत में बिहार के लगभग हर विधानसभा चुनाव में हिंसक घटनाएं और मौतें दर्ज होती थीं। पिछले वर्षों में बूथ कैप्चरिंग और व्यापक गड़बड़ियों के कारण कई बार पुनर्मतदान कराना पड़ता था। लेकिन 2025 के चुनावों में यह स्थिति पूरी तरह बदल गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए इस बदलाव को ‘‘नए बिहार’’ की पहचान बताया। उन्होंने कहा—

“वे दिन अब बीत गए जब बिहार में चुनाव हिंसा और बूथ कब्जे का प्रतीक माना जाता था। इस बार न कोई हिंसा हुई, न बूथ कैप्चरिंग, और चुनाव आयोग को कहीं भी दोबारा मतदान कराने की जरूरत नहीं पड़ी।”

मोदी ने इसे राज्य में सुशासन, बेहतर प्रशासन और चुनाव आयोग की निष्पक्ष तैयारी का परिणाम बताया।

रिकॉर्ड मतदान, महिलाओं की ऐतिहासिक भागीदारी

बिहार में इस बार दो चरणों में चुनाव हुए और मतों की गिनती जारी है। राज्य के 7.45 करोड़ मतदाताओं में से 3.51 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान प्रतिशत 66.91 प्रतिशत रहा, जो 1951 में हुए पहले बिहार चुनाव के बाद से सबसे अधिक है।

चुनावी आंकड़ों के अनुसार, इस बार सबसे अधिक महिला मतदान दर्ज किया गया, जिसने कुल मतदान प्रतिशत को नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

पिछले चुनावों में हिंसा का लंबा इतिहास

आंकड़ों से पता चलता है कि अतीत में बिहार चुनावों के दौरान हिंसा किस हद तक फैली रहती थी—

1985 में चुनावी हिंसा में 63 मौतें हुई थीं और 156 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया गया था।

1990 के चुनावों में 87 लोगों की जान गई थी।

1995 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन को भारी हिंसा और अनियमितताओं के चलते चुनाव चार बार स्थगित करने पड़े थे।

2005 में हिंसा और धांधली की वजह से 660 बूथों पर पुनर्मतदान हुआ था।

इन आंकड़ों की तुलना में 2025 का चुनाव पूर्णतः शांतिपूर्ण रहा, जो बिहार की राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली में आए बड़े बदलाव की ओर संकेत करता है।

लोकतंत्र पर भरोसे की जीत

प्रधानमंत्री ने मतदाताओं को लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखने और रिकॉर्ड मतदान करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने यह साबित कर दिया है कि राज्य अब हिंसा और अराजकता से आगे बढ़ चुका है।

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