एनडीए की जीत के पीछे ये रहे बड़े कारण, जातीय समीकरण से लेकर महिला वोट तक निर्णायक भूमिका

 

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत पर कई विश्लेषण सामने आए हैं। Times of India के विश्लेषण के अनुसार, इस बार एनडीए ने अपने सामाजिक गठजोड़, महिला वोटों के मजबूत समर्थन और पिछड़े वर्गों (EBC) तक प्रभावी पहुंच के कारण निर्णायक बढ़त हासिल की। चुनाव प्रचार के अनेक उतार-चढ़ाव के बावजूद मतदाताओं ने एनडीए पर भरोसा जताते हुए भारी जनादेश दिया। सबसे पहला और महत्वपूर्ण कारण रहा सटीक जातीय समीकरण। बीजेपी और जेडीयू ने उम्मीदवारों के चयन और सीटों के बंटवारे में अत्यंत सावधानी बरती। एनडीए ने यादव और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को छोड़कर अधिकतर इलाकों में गैर-यादव पिछड़ों, अति-पिछड़ों (EBC) और दलित समुदाय को केंद्र में रखकर सामाजिक संतुलन बनाया। इसका सीधा असर मतदान पर दिखाई दिया। दूसरा बड़ा कारण बना महिलाओं का भारी समर्थन। पिछले कई चुनावों की तरह नीतीश कुमार की छवि महिलाओं के बीच मजबूत बनी रही। शराबबंदी, स्वयं सहायता समूह, और सरकारी योजनाओं से जुड़े हितों ने महिला मतदाताओं को एनडीए के पक्ष में लामबंद किया। कई बूथों पर महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा। तीसरा अहम तत्व था डबल इंजन सरकार का संदेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संयुक्त रैलियों में विकास, केंद्र–राज्य तालमेल और कल्याणकारी योजनाओं की निरंतरता पर ज़ोर दिया। मोदी फैक्टर ने शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भाजपा को अतिरिक्त बढ़त दिलाई। चौथा कारण रहा विपक्ष की रणनीतिक कमज़ोरी। महागठबंधन स्पष्ट नेतृत्व नहीं दे पाया और कई सीटों पर उम्मीदवार चयन कमजोर साबित हुआ। बेरोज़गारी के मुद्दे को उठाने के बावजूद विपक्ष ताकतवर वैकल्पिक नैरेटिव नहीं बना सका।

 

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