लखनऊ, 14 नवंबर- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उनकी सरकार राज्य के आदिवासी समुदायों के सामाजिक समावेशन, शिक्षा, कल्याण और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातीय समाज की गौरवशाली परंपराओं को सम्मान देने के साथ-साथ उन्हें मुख्यधारा के विकास से जोड़ने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री गुरुवार को लखनऊ में आयोजित ‘जनजातीय भागीदारी उत्सव’ को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम ‘जनजातीय गौरव पखवाड़े’ के तहत आयोजित किया गया था, जो जनजातीय नायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।
योगी ने कहा, “यह वर्ष भारत के लिए ऐतिहासिक है। यह सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा दोनों महान धरतीपुत्रों के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है, जिन्होंने देश की एकता और आत्म-सम्मान की नींव रखी।”
उन्होंने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मात्र 25 वर्ष की आयु में उन्होंने ‘अपना देश, अपना राज’ का नारा देकर स्वशासन के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया और आने वाली पीढ़ियों को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने थारू, मुसहर, सहरिया, कोल और गौर जैसी सभी मान्यता प्राप्त जनजातियों के कल्याण के लिए “मिशन मोड” में कार्य किया है। उन्होंने कहा, “डबल इंजन की सरकार आदिवासी समुदाय के गौरव को पुनः स्थापित करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए लगातार प्रयासरत है।”
योगी ने बताया कि सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप आदिवासी युवाओं की शिक्षा और सरकारी सेवाओं में भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “पहले अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पद खाली रह जाते थे, लेकिन हाल ही में हुई 7,244 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती में सभी पद भरे गए हैं।”

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि 1.5 लाख से अधिक आदिवासी छात्र छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं। साथ ही, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, बहराइच, महराजगंज, श्रावस्ती और बिजनौर जिलों में संचालित नौ आश्रम पद्धति स्कूलों में 2,000 से अधिक आदिवासी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य में एकलव्य मॉडल स्कूल और मुफ्त छात्रावासों का भी तेजी से विकास किया जा रहा है।
आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने 13 जिलों के 23,000 से अधिक वनवासी आदिवासी परिवारों को भूमि अधिकार प्रदान किए हैं, जिससे उन्हें अपने दावों को आधिकारिक रूप से अभिलेखों में दर्ज करवाने का अधिकार मिला है।
कार्यक्रम के सांस्कृतिक पहलू पर उन्होंने कहा कि यह उत्सव भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है। “22 राज्यों के कलाकार और प्रतिनिधि लखनऊ में एकत्र हुए हैं और उन्होंने अपनी पारंपरिक प्रस्तुतियों, प्रदर्शनियों और जनजातीय व्यंजनों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान नहीं, बल्कि भारत की विविधता में एकता का उत्सव है।”
इस अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण और अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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